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28 Sep 2023 · 1 min read

#अंसुवन के मोती

✍️

★ #अंसुवन के मोती ★

पीरचिरैया रह जाए न सोती
बचाकरके रखना अंसुवन के मोती

बचाकरके रखना . . . . .

चंदा की चांदनी और मेरी भी
सांसों की बगिया चाह आस बोती

बचाकरके रखना . . . . .

नदिया किनारे इक बेरी का बूटा
हिरदेहरीतिमा निज भास खोती

बचाकरके रखना . . . . .

खंडित सपने वचनों की किरचें
प्रीत शूद्राणी बहुत बोझ ढोती

बचाकरके रखना . . . . .

विछोह की वेला ज्यों वंशीछेदन
अंजनकलुष को स्मृतिगंग धोती

बचाकरके रखना . . . . .

दूर पास और धुर अंतस में
हंसती तृषामिलन और कभी रोती

बचाकरके रखना . . . . .

चतुर सुजान बहुत जगती के वासी
मतिमूढ़ मैं नैनाहारी रही सोती

बचाकरके रखना . . . . .

मैं इस पार मेरे उस पार साजन
होती जो होता मैं पी संग होती

बचाकरके रखना . . . . .

वयवाटिका उमंगों के छौने
पथवीथिका विधनामालिन भिगोती

बचाकरके रखना . . . . .

जोतिवंत ज्योति जलाए ही रखना
छूट न जाए मेरी जोतनेह बिनजोती

बचाकरके रखना . . . . . !

#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२

Language: Hindi
95 Views
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