Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Mar 2023 · 9 min read

अंध विश्वास – मानवता शर्मसार

अंधविश्वास – मानवता शर्मशार

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का अंतिम जनपद देवरिया एव जनपद का अंतिम नगर परिषद टाऊन एरिया लार सन उन्नीस सौ उन्तीस कि नगर पंचायत हैं।

यहाँ से कुछ दूरी पर एक तरफ सरयु नदी बहती है तो कुछ दूरी पर छोटी गंडक सरयू नदी के किनारे बाबा राघव दास जी कि कर्मस्थली एव देवरिया जनपद के प्रमुख व्यवसायिक केंद्रों में एक बरहज बाज़ार है तो छोटी गंडक पर उत्तर प्रदेश बिहार सीमा पर मेहरौना पुल है जो उत्तर प्रदेश बिहार को बांटता है ।

लार कस्बे में बनिया जायसवाल ,बरनवाल, गुप्ता व्यवसायी है किंतु लार टाऊन में मुख्य जाती जो थी और जिसका वर्चस्व था और है वह है इराकी मुसलमान जो अपना सर नेम ही लारी लिखते है जो लार कि मुलता का एहसास कराता है ।

लारी इस्लाम को मानने वाली वह कौम होती है जो व्यवसायी होती है जैसे हिंदुओ में मारवाड़ी, पंजाबी ,बनिया ,सिंधी आदि लारी मुसलमान कि विशेषता यह है कि वह बेवजह बेबुनियाद बवाल या विवाद में नही पड़ता एव अमूमन शांति प्रिय शिक्षित एव तरक्की पसंद होता है यही कारण है कि आज तक लार में कोई धार्मिक उन्माद की अराजकता फैली हो या घटी हो कभी कोई प्रमाण मुझे नही मिला ।

लारी मुसलमानों के कारण विश्व मे लार का डंका बजता रहा है विश्व के ल्गभग सभी देशों में लारी मिल जाएंगे इनकी ख़ासियत यह भी है कि ये कभी किसी के सामने हाथ फैलाते नही दिखते भारत मे भी कानपुर के या देश के टेनरी उद्योग ,फ़िल्म उद्योग , शराब उद्योग आदि में इनका बर्चस्व रहा है और है भी ।

किसी जमाने मे यही के मशहूर उद्योगपति नूरी मिया और उनके दामाद मकबूल मिया लार के अभिमान में गिने जाते थे फ़िल्म को में मुशीर रियाज आदि लार के ही बाशिन्दे है लारी विश्व मे कही भी मतलब लार के ही है।

लार टाऊन में लारी बाहुल्यता के साथ साथ आस पास के गांव अमूमन राजपूतों के है जैसे रामनगर ,राउत पार ,रोपन छपरा जिसके कारण राजपूत लार डाउन पर बर्चस्व रखते लारी अमूमन थोड़ा भी अवसर मिलने पर बाहर व्यवसाय को विस्तारित करता है राजनीति में बहुत कम रहता है ।

इराकी मुसलमानों के कारण ही देवरिया के सलेमपुर एव लार भाटपार आदि में बाहरी व्यवसायी जैसे मारवाड़ी पंजाबी नही आ सके जबकि पडरौना ,बरहज रामकोला आदि में इनकी भरमार है लार की सांमजिक एव भौगोलिक स्थिति बहुत जटिल है लार के आस पास के गांव अधिकतर बाढ़ के प्रकोप से प्रभावित रहते थे और छोटी जोत या मजदूर वर्ग लार के ही सेठों पर निर्भर रहता था मगर अब स्थितियों में परिवर्तन अवश्य हुआ है और आत्म निर्भर परिवारों की संख्या में इज़ाफ़ा हुआ है।

लार कस्बे में कुछ अन्य जाती समुदाय के लोग भी रहते है जिनकी संख्या बहुत कम थी अब सांमजिक समीकरण बहुत बदल चुका है लार में पुराना बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ,एव रोडवेज बस स्टैंड ,एव स्वामी देवानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय एव ओ के इंटर कालेज यही पहचान था जो विकास के साथ बदल चुका है देवरहवा बाबा के आश्रम से नजदीक लार टाउन से 6 किलोमोटर दूर लार रोड रेलवे स्टेशन एव 12 किलोमोटर दूर सलेमपुर तहसील मुख्यालय पर रेलवे स्टेशन मौजूद है ।

कभी कभार सलेमपुर को देवरिया से अलग जनपद बनाने की आवाज उठती रहती है इतने विविधताओं से पूर्ण लार बाज़ार से मेहरौना जाने वाली सड़क पर बाज़ार से बाहर एक परिवार रहता था रेवत का (काल्पनिक नाम) रेवत के परिवार में उसकी पत्नी शिवांगी थी शिवांगी और रेवत दोनों में महत्वकांक्षये बहुत थी उनके एक गुरू थे स्वामी सुमेरु जी (काल्पनिक नाम) सुमेरु एक तांत्रिक एव अवघड़ था जो आराधना पद्धति के बाम मार्ग का अनुयायी और कट्टरता से परिपूर्ण था ।

रेवत और शिवांगी दोनों ही सुमेरु के अन्यन्य भक्तों में एक थे दोनों के जीवन के पल प्रहर में सुमेरु बुरी तरह समाहित था।

रेवत और शिवांगी अपने गुरु औघड़ सुमेरु के प्रत्येक आदेश का पालन करते सुमेरु के शिष्यों की मंडली में सर्वोच्च एव सर्वप्रिय थे अक्सर रेवत एव शिवांगी और रेवत अपनी आकांक्षाओं के परिपेक्ष्य में गुरु औघड़ सुमेरु चर्चा करते रहते गुरु औघड़ शुमेरु अक्सर बात को ध्यान से सुनते अवश्य लेकिन हर बार यही कहते कि बच्चा समय आने पर तुम्हे तुम्हारी अभिलाषाओं के पूर्ण होने के आध्यात्मिक मार्ग बताऊँगा और बोले अगले दिवाली के दिन तुम लोग आश्रम पर आओ वही तुम दोनों के अभिलाषाओं की प्राप्ति का रास्ता मिलेगा ।

रेवत और शिवांगी ठिक दिवाली के दिन औघड़ शुमेरु के पास पहुंचे शुमेरु अपने औघडी आराधना में पूरी रात नदी के किनारे साधना करते रहे और उनके शिष्य रेवत और शिवांगी उनके आराधना में सहयोगी बने रहे सुबह आराधना समाप्त हुई और औघड़ शुमेरु ने रेवत दंपति को बताया कि बच्चा रास्ता बहुत कठिन है देवी बलि मांगती है वह भी बालको की जो सामाजिकता एव दुनियादारी से अनजान हो और इस तरह सात बलि देने के उपरांत तुम दोनों कि महत्वकांक्षये पूर्ण होंगी।

रेवत एव उसकी दंपति कि आकांकक्षाये बहुत बड़ी थी मगर उन्हें कत्तई यह अंदाजा नही था कि उसके लिए इटने जघन्य रास्ते को भक्ति के रूप में अपनाना पड़ेगा वास्तव में रेवत दंपति ने कभी मच्छर तक नही मारा था बच्चो की बलि की बात तो बहुत बड़ी थी।

कहते है लालच व्यक्ति को किसी हद तक किसी स्तर तक निकृष्ट और क्रूर बना देता है रेवत और शुभांगी ने बच्चों की सात बलि देने की बात को एव गुरु के आदेश को शिरोधार्य कर उसके लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने लगे ।

रेवत के पड़ोसी थे शंकर जिनका बेटा था हिमांशु बेहद खुबशुरत बेटा था मानव जो खूबशूरत होने के साथ साथ होनहार एव आकर्षक भी था शंकर एव रेवा अच्छे पड़ोसी थे दोनों एक दूसरे के सुख दुख में साथ रहते थे उनकी पत्नियों शिवांगी और सावित्री में भी सहेलियों की तरह ही रिश्ता था रेवत और शिवांगी का बेटा था रजवंत (काल्पनिक नाम) मानव रेवत के साथ ही पढ़ता खेलता दोनों अक्सर साथ साथ स्कूल जाते ।

एक दिन दोनों के स्कूल की छुट्टी थी दोनों साथ खेल ही रहे थे कि मानव कही लापता हो गया शंकर और सावित्री पर जैसे आफत का काम ही टुट पडा बच्चे को खोजने के लिए शंकर और सावित्री ने ओझा सोखा एव रिश्ते नाते जो भी सम्भव था सभी संभव रास्तों से मानव के लापता होने के सबंध में पता लगाया लेकिन कोई पता नही चला उनके इस कार्य मे उनके पड़ोसी भी मदद रेवत और शिवांगी भी मदद कर रहे थे अतः शंका की कोई गुंजाइश ही नही थी।

अंत मे विवश होकर शंकर ने अपने मासूम बेटे के लापता होने की सूचना लार थाने को दी और प्राथमिकी दर्ज कराई।

पुलिस ने इसे बहुत साधारण घटना मानकर अपनी जांच शुरू किया उसने मानव के गायब होने की परिस्थितियों पर गहन विचार किया उंसे कही भी कोई क्लू नजर नही आया सिवा इसके की शंकर का बेटा मानव और रेवत का बेटा रजवंत एक साथ ही दिन में खेल रहे थे और गायब सिर्फ मानव था पुलिस को इस रास्ते पर चल रही थी कि हो सकता है कि शंकर से किसी की पुरानी रंजिश हो और उसने ही उसके बेटे को अगवा कर लिया हो धीरे धीरे मानव के लापता हुए एक सप्ताह हो चुके थे पुलिस पर खासा दबाव था पुलिस भी परेशान थी कि वह जांच किस दिशा में ले जाए ।

एकाएक लार थाना इंचार्ज अभिनव सिंह तोमर (काल्पनिक नाम) के मन मे जाने क्या सूझी उन्हें लगा शायद मानव के लापता होने के विषय मे कोई क्लू रजवंत दे सके उन्होंने रजवंत को गोद मे उठाया और प्यार से पूछा बेटे तुम्हारा दोस्त मानव कहा है बहुत दिनों से तुम दोनों साथ नही खेलते तुम्हे बुरा नही लगता है रजवंत सिर्फ माई बाबूजी कहता और रोने लगता जब इंस्पेक्टर अभिनव तोमर रजवंत से बात चीत कर रहे थे थोड़ी ही दूर पर किसी उसके माँ बाप रेवत एव शिवांगी ने इंस्पेक्टर तोमर से कहा कि साहब मानव के लापता होने से रजवंत के ऊपर गहरा मानसिक आघात लगा है जिसके कारण वह कुछ बता नही पा रहा है इंस्पेक्टर अभिनव तोमर को लगा कि रजवंत के मां बाप सही कह रहे है उन्होंने रजवंत को उनके हवाले कर दिया ।

अब पुलिस के पास कोई रास्ता मानव के मिलने का नही सूझ रहा था इसी बीच लार कस्बे एव आस पास के गांवों में मानव के गुम होने और पुलिस कि नाकामी के कारण जनाक्रोश फैल चुका था जिसके कारण पुलिस पर दबाव बढ़ता ही जा रहा था।

तभी सब इंस्पेक्टर नरोत्तम परमार (काल्पनिक नाम ) ने थाना इंचार्ज अभिनव तोमर से कहा एक बार रेवत और शिवांगी से पूछ ताछ करने में क्या हर्ज है सर कड़ाई से पूछ ताछ की जाय शायद अंधेरे में निशाना सही बैठे।

थाना इंचार्ज अभिनव तोमर को सब इंस्पेक्टर की सलाह अच्छी लगी उन्होंने दूसरे दिन ही रेवत और शिवांगी को बुलाने के लिए पुलिस दल भेजा पुलिस दल कुछ ही देर में रेवत एव शिवांगी को लेकर थाने पहुंचा इंस्पेक्टर अभिनव तोमर ने दोनों को अकेले बन्द कमरे में ले जाकर कहा आप दोनों साफ साफ बता दे कि मानव को आप लोंगो ने कहा छुपा रखा है हमारे पास पुख्ता सबूत है कि मानव को आप लोंगो ने ही अगवा किया है पहले तो दोनों नाकुर नुकुर करते रहे दिन भर पूछ ताछ के बाद सिर्फ पुलिस यही निष्कर्ष निकाल सकी की रेवत दंपति निश्चित ही झूठ बोल रहा है।

पुलिस कि विशेषता यह है कि वह अपराधियों से दो दो हाथ रोज करती है जिसके कारण उन्हें आपराधिक मनोविज्ञान का पूर्ण ज्ञान होता है किसी भी व्यक्ति को वे प्रथम दृष्टया देखने पर ही जान सकते है कि उनके सामने खड़ा व्यक्ति अपराधी प्रवृत्ति का है या नही ।

दूसरे दिन इंस्पेक्टर तोमर ने बहुत कड़ाई एव पुलिसिया हथकंडा अपनाते हुए रेवत एव शिवांगी से पूछ ताछ शुरू किया और शाम होते होते दोनों पुलिस के समक्ष टूट कर विखर गए और विलाप करते हुए कबूला साहब हमहि मानव के बलि चढ़ाए है अब क्या था ?

इंस्पेक्टर अभिनव तोमर ने रेवत और शिवांगी पर शिकंजा और कड़ा किया जो सच्चाई उन दोनों ने बताई अंधविश्वास कि बलि बेदी पर सम्पूर्ण मानवता शर्मशार हो गयी

रेवत और शिवांगी ने बताया कि हमारे गुरु औघड शुमेरु बहुत पहुंचे हुए तांत्रिक है हम उन्ही के शिष्य अनुयायी है हम लोंगो को धन दौलत और रुतवे कि अभिलाषा आकांक्षा बहुत है गुरु जी से हम लोंगो ने अपनी आकांक्षाओं अभिलाषा की पूर्ति का मार्ग पूछा तो गुरु जी ने ही बताया कि सात ऐसे बालको की बलि माँ को समर्पित करनी होगी जो दुनियादारी और सामाजिकता से अंजान हो हुजूर हम लोग छः बच्चों कि बलि दे चूके है मानव की सातवी बलि थी अब कुछ ही दिनों में हम लोंगो पर माता की कृपा बरसने वाली थी।

इंस्पेक्टर अभिनव तोमर ने रेवत और शुभांगी से पूछा कि तुम दोनों ने कैसे ऐसी नृसंस हत्याएं कर डाली ।

दोनों ने बताया कि उनका बेटा रजवंत एव मानव दोस्त थे और साथ साथ ही अक्सर रहते एव खेलते गुरु जी के बताये शुभ मुहूर्त के दिन घर से बाहर रजवंत और मानव साथ खेल रहे थे तब
हम लोंगो ने रजवंत और मानव को घर मे बुलाया मानव के माँ बाप शंकर एव सावित्री आश्वस्त थे कि उनका बेटा रजवंत के साथ खेल रहा है यही प्रतिदिन की होता भी था रजवंत एव मानव एक दूसरे के घर बेधड़क आते जाते थे दोनों को घरों मे कोई अंतर नही नज़र आ रहा था अतः दोनों निश्चित थे ।

रजवंत और मानव के घर मे आने के बाद तांत्रिक गुरु के
निर्देशानुसार पूजा सम्पन्न हुई और मानव को माला फूल पहनाया गया एव रजवंत को मानव के सामने ही दवा देकर सुला दिया गया जिससे मानव को अपने मित्र की कमी ना खले और वह घर जाने की जिद्द ना करे जब रजवंत सो गया तब मानव को देवी जी के सामने पूड़ी खीर खाने को रखा गया ज्यो ही वह खाने में व्यस्त हुआ त्यों ही कटार से उसका सर एक ही वार में धड़ से अलग कर दिया उसकी कोई आवाज भी नही निकली और सर एंव धड़ को घर मे ही गाढ़ दिया ।

इंस्पेक्टर अभिनव तोमर रेवत दंपति की नृसंसता क्रूरता उनकी ही जुबानी सुन कर कांप गए उन्होंने रेवत दंपती के निशान देही पर कटार एव मॉनव कि खोपड़ी और शव बरामद कर दोनों को जेल भेज दिया।

इंस्पेक्टर अभिनव तोमर बोले अब जेल में माता की कृपा तुम लोंगो पर बरसेगी जब यह बात लार कस्बे एव आस पास के गांवों में फैली तो जनकाक्रोश उमड़ पड़ा और रेवत के घर को ही उखाड़ फेंकने को आमादा हो गया पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करते हुए तांत्रिक शुमेरु को गृफ्तार करने के लिए अनेको स्थानों पर दबिश दिया किंतु वह जाने कहां फरार हो चुका था ।

लार कस्बा अपनी ऐतिहासिक प्रतिष्ठा के लिए सदैव अभिमान एव गर्व महसूस करता था लेकिन इस घटना ने बहुत मर्माहत किया लार के बाशिन्दों और आस पास के गांव के लोगो के सामाजिक सम्बन्धो पर अंधविश्वास का ऐसा प्रहार था जो अब भी आम जन को आंदोलित और आक्रोशित कर देता है।

रेवत एव शिवांगी के विरूद्ध न्यायालय में मुकदमा चला और आजीवन कारावास हुआ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने एक नेक कार्य यह किया कि मासूम बच्चों को बलि स्थान रेवत के घर को बच्चों के पढ़ने के लिए ही सरस्वती शिशु मंदिर के रूप में अधिग्रहण कर लिया जिससे लार बाज़ार टाउन की धूमिल मर्यदा की कुछ धूल अवश्य साफ हुई।

नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।

Language: Hindi
289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
View all
You may also like:
बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
Neelam Sharma
मुकम्मल हो नहीं पाईं
मुकम्मल हो नहीं पाईं
Dr fauzia Naseem shad
।।
।।
*प्रणय*
జయ శ్రీ రామ...
జయ శ్రీ రామ...
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मन की संवेदना
मन की संवेदना
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
सिपाही
सिपाही
Neeraj Agarwal
गुरुर
गुरुर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
छोड़ो टूटा भ्रम खुल गए रास्ते
VINOD CHAUHAN
वो रूठ कर हमसे यूं चल दिए आज....!!!
वो रूठ कर हमसे यूं चल दिए आज....!!!
AVINASH (Avi...) MEHRA
"गणित"
Dr. Kishan tandon kranti
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
पाॅंचवाॅं ओमप्रकाश वाल्मीकि स्मृति साहित्य सम्मान समारोह -2024 संपन्न
Dr. Narendra Valmiki
गुलाब के काॅंटे
गुलाब के काॅंटे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
मरने से ज्यादा खौफ़नाक होता है भुला दिया जाना...
मरने से ज्यादा खौफ़नाक होता है भुला दिया जाना...
पूर्वार्थ
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
ग़ज़ल(ये शाम धूप के ढलने के बाद आई है)
डॉक्टर रागिनी
मग़रिबी और मशरिक तो क्या सारे जहान में शुमार है जिसका ।
मग़रिबी और मशरिक तो क्या सारे जहान में शुमार है जिसका ।
Phool gufran
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
जो श्रम में अव्वल निकलेगा
Anis Shah
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
सत्य विवादों से भरा,
सत्य विवादों से भरा,
sushil sarna
तक़दीर शून्य का जखीरा है
तक़दीर शून्य का जखीरा है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
एक डॉक्टर की अंतर्वेदना
एक डॉक्टर की अंतर्वेदना
Dr Mukesh 'Aseemit'
*अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)*
*अनगिन हुए देश में नेता, अलग मगर थे नेताजी (गीत)*
Ravi Prakash
*क्या देखते हो*
*क्या देखते हो*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
3488.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3488.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
ਮਿਲੇ ਜਦ ਅਰਸੇ ਬਾਅਦ
ਮਿਲੇ ਜਦ ਅਰਸੇ ਬਾਅਦ
Surinder blackpen
मतदान
मतदान
Dr Archana Gupta
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
मैं पतंग, तु डोर मेरे जीवन की
Swami Ganganiya
"नग्नता, सुंदरता नहीं कुरूपता है ll
Rituraj shivem verma
Loading...