अंधेरे में, ना दिखता है ।
अंधेरे में, ना दिखता है ।
रोशनी में, सहज दिखता है ।।
जो जीता है, ओ रखता है l
वही सुंदर सत्य, लिखता है ll
जो होता है, सो दिखता है l
वो सही दाम में, बिकता है ll
जीवन में, पीडाएं लिखता है l
प्यास में पड़ता, पनपता है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न