अंधभक्ति
अंधभक्ति_एक विचारधारा
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विचारधाराएं पनपती नहीं कहीं भी खुद से ,
कालक्रम के संग-संग ये बनायी जाती है ।
विश्व के सफल देशों का इतिहास उलटकर देखो ,
वतनपरस्ती बचपन से ही सिखलायी जाती है।
पर्वत सा अटल अविचल खड़ा है वही देश ,
जनमानस में सहत्व भाव जहाँ अपनायी जाती है।
जुल्म से जग को जीतने वाला वो सिकंदर था ,
पर राजा पोरस की कथा कहाँ बतलायी जाती है ।
अस्त्र शस्त्रों ने सदा ही जीता नहीं है जग को ,
विचारधाराएं बदल दो ,यदि जीतना है शत्रु को ।
देखा है हमने अतीत में संस्कृति पर हमले को ,
विद्याकेंद्रो को किस तरह से जलायी जाती है ।
धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर,
कोई छलता रहा हमको ,
बनाया समता का संविधान,
पर पृथक करते गए सबको
हुकूमत बंट गई थी जिन कारणों से,
साजिश में पड़कर ,
वो कारण आज भी जिंदा है,
हमें कहाँ बतलायी जाती है
आत्मसम्मान पाना है यदि,
देशवासियों जग में फिर से ,
तो एकजुट होकर सदा डटे रहना,
समर में वैरियों से।
हवा का रुख अब,
विपरीत लगने लगा है जयचंदों को ,
सत्य की राह चलने को,
अंधभक्ति बतलायी जाती है।
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – १३ /०२ /२०२३
फाल्गुन ,कृष्ण पक्ष ,सप्तमी ,सोमवार
विक्रम संवत २०७९
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