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28 May 2021 · 1 min read

अंदाज़े – शायरी

अंदाज़े – शायरी
१.

मैं अक्सर उसकी गली के चक्कर लगाया करता हुँ

खुली जुल्फों के साथ उसे खिड़की के करीब पाया

करता हूँ

जब दीदार नहीं होता है, मैं उदास हो जाया करता हूँ

ये मेरा जुनून-ए–आशिकी है, मैं उसकी गली के

चक्कर लगाया करता हूँ

२.

इकबाल मेरा भी बुलंद हो आहिस्ता–आहिस्ता

इंतज़ार मेरा भी ख़त्म हो आहिस्ता–आहिस्ता

उन्हें भी मुझे इश्क हो जाए आहिस्ता- आहिस्ता

जिन्दगी में मेरी भी बहार आ जाए आहिस्ता– आहिस्ता

Language: Hindi
Tag: शेर
3 Likes · 4 Comments · 318 Views
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