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27 Jan 2021 · 1 min read

अंदाज़ – ऐ – मुहोबत

शिकायत भी करें और इल्जाम भी लगाए क्या-क्या,

कोई पूछे उनसे उनका यह अंदाज़ ऐ मुहोबत है क्या ।

कुछ कहें उनसे तो मुश्किल, न कहें तो मुश्किल हाय!

कशमकश में रहे नन्हा सा, दिल यह इंसाफ है क्या?

न इकरार करते हैं न इंकार ही करते हैं, ऐसे है वो ,

जानेमन ,जाने जां कहे उन्हें या फिर बेवफा कहें क्या?

अभी हैं आपकी जिंदगी में, कल हो न हो मालूम नहीं,

कद्र कर लो अभी वरना रुसवा हो तो करोगे क्या ?

न पुकारो बहारों को तो वह भी लौट जाया करती है,

इशारा हमारा समझ लो, इससे ज्यादा हम कहें क्या?

फिर न करना कोई गिला और न कोई शिकवा ‘अनु’ से,

ओढ़ लिया जब कफन, फिर कुछ गुंजाइश बचती है क्या?

1 Like · 4 Comments · 370 Views
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