अंतिम सत्य
सत्य की खोज
सृष्टि के आरंभ से
आज तक जारी है।
सत्य की खोज ने
कितने ही लोगों को
बना दिया
महात्मा बुद्ध।
कुछ लीक से
हटकर चले,
कुछ बनी लीक पर
बने अनुगामी।
सत्य शाश्वत,
सत्य चिरंतन समाया
सृष्टि के कण- कण में।
परमात्मा की
अद्भुत रचनाऍं,
मंत्र मुग्ध होती आत्मा
एवं संपूर्ण सृष्टि।
बड़ी अलौकिक है
‘पर’ से ‘स्व’ की यात्रा।
अन्वेषण अपनी आत्मा का
स्वार्थ की परतें हटाकर,
मुखौटो का छद्म आवरण
सत्य के तेज में जलाकर।
अपनी पवित्र
आत्म छवि से
मिलना बड़ा ही
रोमांचक है।
आत्मा अपने शिव रूप में
सदा खुश रहने वाली,
परम शांति प्रिय
आह्लादित करने वाली,
खुशियाॅं देने वाली
अक्षय प्रकाश पुंज है।
इस जीवन यात्रा में
हृदय पर छोड़ते हैं जो छापें,
अगले जनम में
भाग्य निर्माण
करती है हमारा।
जाग्रत है गर विवेक
पिछले कर्मों का कर
भुगतान
संचित करते अच्छे कर्म।
वरण करते मृत्यु का
जो इस जीवन का
अंतिम सत्य है।
प्रतिभा आर्य
चेतन एनक्लेव
अलवर (राजस्थान)