अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस
19/11/2019अंतराष्ट्रीय पुरूष दिवस पर सृजित हुये कुछ भाव।?..??????
हाँ ,तुम पुरुष हो ,
कठोरता के कवच में ढाले गये।
निर्भीकता की आंच में पाले गये ।
पाषाण हृदय सम कठोर दिखते,
निर्झर पाषाण अंतस ही झरते ।
अच्छी लगती है ये तेरी कठोरता।
कोमलता यहीं आश्रय पाती है ।
कठोर वृक्ष पर जैसे कोमलांगी ,
लता उन्मुक्त हो बढ़ पाती है।
पाकर तेरा संबल ही ,निर्बाध,
ऊँचाईयाँ छू पाती है।
हाँ ,तेरा पाषाण होना खलता है ,
तेरा कठोर होना खटकता है ।
पर जानती हूँ।
इस कठोरता में भी
धकधक करके
दिल मासूम सा धड़कता है।
जानती हूँ ,कहना चाहते हो तुम ,
अपने भय को ,अनाम डर को ..!
पर व्यक्त नहीं कर पाते ।
प्रिय बिछड़न की पीड़ा
तुम भी सह नहीं पाते।
शेष..
पाखी