“अंजाम बाकी है”
“अभी तो चलना शुरू किए हम,
अभी मकाम बाकी है ,
जिगर में हौसला है मेरे ,
हमारी जान बाकी है,
जमीं को छुआ है हमने,
अभी आसमान बाकी है,
सवालों के घेरे तोड़ रहे हैं,
अभी इम्तिहान बाकी है,
हर मुश्किल से लड़ जायेंगे,
अभी इत्मिनान बाकी है,
उजालो में क्या इतराना,
सूरज का ढलना बाकी है,
रोशनी ना होगी राहों में,
अँधेरो में चलना बाकी है,
हो गयी खामोश देखकर मुझे बिजलियाँ,
क़हर का खौफ़ नही है,ना फिक्र है तूफ़ां की,
आँधियों में भी मेरा मकान बाकी है,
रास्ते बंद है गुलशन के तो क्या गिला यारों,
सबा के वास्ते सारा ज़हान बाकी है,
बंद पिंजरों के परिंदों को है कहाँ मालूम,
आसमां के लिए कितनी उड़ान बाकी है,