Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2022 · 5 min read

भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख (संस्मरण)

भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख (संस्मरण)
*****************
यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे समय-समय पर महापुरुषों का प्रशंसा- प्रसाद मिलता रहा है। मेरे पास जो पत्रों का संग्रह है, उसमें श्री नानाजी देशमुख द्वारा 19 नवंबर 1995 को लिखा गया पत्र बहुत महत्वपूर्ण है। नाना जी का यह कृपा- प्रसाद मेरे काव्य संग्रह माँ भाग 2 के संबंध में प्राप्त हुआ था ।
पत्र इस प्रकार है:-
_________________________________
दीनदयाल शोध संस्थान
संस्थापक: नाना देशमुख
7-ई स्वामी रामतीर्थ नगर, रानी झांसी रोड,नई दिल्ली
दिनांक 19-11-1995
प्रिय श्री रवि प्रकाश जी
सप्रेम नमस्कार ।
आपकी भेजी हुई “माँ” का दूसरा भाग प्राप्त हुआ। आपके लेखन-शैली तथा अर्थपूर्ण भाव अभिव्यक्ति प्रशंसनीय हैं। इस दिशा में आपकी प्रतिभा सदैव वृद्धिगत होती रहे। इन शुभकामनाओं सहित
आपका स्नेहांकित

(नाना देशमुख)
______________________________
1956 में पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ ने जब रामपुर में सुंदर लाल इंटर कॉलेज की स्थापना की तो श्री नानाजी देशमुख का शुभकामना संदेश प्राप्त हुआ
। श्री नानाजी देशमुख उस समय जनसंघ के संगठन का कार्य देखते थे तथा रामपुर उनके क्षेत्र में आता था। पिताजी से उनका न केवल पत्र व्यवहार चलता रहता था अपितु बड़े गहरे संबंध रहे । बाद में मरणोपरांत श्री नानाजी देशमुख को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
शुभकामना पत्र इस प्रकार है:-
“””””””””””””””””””””””””””””””””””
लखनऊ 12- 7-56
परम मित्र श्री राम प्रकाश जी
सप्रेम नमस्कार , आपका कई दिनों के पश्चात एक पत्र मिला। आप अपने नाना जी की पुण्य स्मृति में एक विद्या मंदिर का निर्माण कर रहे हैं , यह जानकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई । यह अपने पवित्र परंपरा के अनुकूल प्रशंसनीय कार्य है । इसमें अपने पूर्वजों के प्रति प्रकट होने वाली असीम श्रद्धा एवं समाज के प्रति हृदय में अनुभव होने वाली कर्तव्य दक्षता ही प्रकट होती है। ऐसे सद्भावना युक्त कार्य की जितनी सराहना की जाए थोड़ी ही है । मेरा विश्वास है कि स्वर्गीय पूज्य नाना जी का शुभ आशीर्वाद आपके इस प्रयास को पूर्ण सफल बनाएगा एवं इस विद्या मंदिर में पढ़ाने वाले योग्य शिक्षक एवं पढ़ने वाले शिक्षार्थी उनके आपसी पुण्य सहयोग के कारण आपको हृदय से धन्यवाद देकर आपके विद्या मंदिर की कीर्ति को शिक्षाक्षेत्र में आदर्श स्थान प्राप्त करा देंगे । इन शुभ आकांक्षाओं सहित आपका
स्नेहांकित
नाना देशमुख
नानाजी देशमुख के संबंध में मेरी एक अवधारणा अनेक दशकों से पूज्य पिताजी स्वर्गीय श्री राम प्रकाश सर्राफ के श्रीमुख से उनके संबंध में अनेक बातें सुन -सुन कर बन चुकी थी । वह जनसंघ के कुशल संगठनकर्ता थे। कार्यकर्ताओं से उनका सीधा संवाद था और बहुत घनिष्ठता कार्यकर्ताओं के बीच में प्राप्त कर लेना, यह उनके स्वभाव की विशेषता थी।
1967 के लोकसभा चुनाव में नानाजी देशमुख का पूज्य पिताजी से बहुत आग्रह था कि वह जनसंघ के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ लें। इसका कारण यह था कि 1957 तथा 62 के लोकसभा चुनावों में पूज्य पिताजी का बड़ा भारी सक्रिय योगदान रहा था। इसके अलावा जनसंघ की शुरुआत से संगठन को मजबूत बनाने के लिए जो कार्य उन्होंने किया , उसमें सीधा संपर्क नानाजी देशमुख से उनका रहा। इस नाते यह दोनों ही महानुभाव एक दूसरे से स्वभाव, विचार , प्रवृत्ति सभी नाते से पूर्णतः परिचित थे। अनेक बार नानाजी देशमुख जनसंघ के क्रियाकलापों के संबंध में पूज्य पिताजी के साथ उनके निवास पर आए। न जाने कितनी बैठकें साथ- साथ हुईं।
1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी। और तब रामपुर से लोकप्रिय सांसद श्री राजेंद्र कुमार शर्मा की दावेदारी मंत्री पद के लिए सर्वथा उचित थी । अतः जब श्री शर्मा जी ने पूज्य पिताजी से कहा कि दिल्ली चल कर श्री नानाजी देशमुख से मंत्री पद के संबंध में वह बातचीत कर लें तब खुशी खुशी रामपुर की जनता तथा रामपुर के विकास के उद्देश्य से तथा श्री राजेंद्र कुमार शर्मा जी की इस संबंध में सुयोग्यता को देखते हुए पूज्य पिताजी दिल्ली गए। मेरी आयु उस समय 16 वर्ष से कुछ अधिक थी और मुझे तब नानाजी देशमुख के दर्शनों का सौभाग्य मिला । उस समय नानाजी क्लीन शेव हुआ करते थे। सफेद दाढ़ी वाली बात बहुत बाद में आई । दिल्ली में दीनदयाल शोध संस्थान में नानाजी देशमुख से पूज्य पिताजी की भेंट हुई और मुझे अच्छी तरह याद है कि दूर से ही जब श्री नानाजी देशमुख ने पूज्य पिताजी को देखा तो मुस्कुरा कर कहा “कहिए राम प्रकाश जी ! कैसे आना हुआ ।” पूज्य पिताजी ने कहा “रामपुर को कुछ और शक्ति दीजिए ”
अहा ! कितनी सुंदर मांग ! कितने सुंदर शब्दों में उन्होंने नाना जी के सामने रखी थी। प्रारंभ इन्हीं शब्दों से हुआ था और फिर मंत्री पद की चर्चा हुई ।अंत में नाना जी ने कहा “मैं लोकसभा जा रहा हूं ,अगर आपको कुछ और बात करना हो तो आप कार में मेरे साथ बैठ लीजिए ।”पूज्य पिताजी ने कहा “नहीं, बात सब हो गई “। इसके बाद नानाजी देशमुख चले गए।
फिर हम काफी देर तक दीनदयाल शोध संस्थान में घूम कर देखते रहे । यह सब कार्य नानाजी देशमुख की निस्वार्थ जनसेवा का ही परिचायक था। नाना जी चाहते तो केंद्र सरकार में मंत्री बन सकते थे लेकिन उन्होंने अपने स्थान पर दूसरों को अवसर देना ज्यादा उचित समझा । मंत्री पद स्वीकार न करना एक अद्भुत घटना थी ।भारत के इतिहास में मंत्री पद के लिए जोड़-तोड़ करना तथा छीन झपटकर उसको प्राप्त कर लेने के उदाहरण तो बहुत हैं ,लेकिन केंद्र सरकार में मंत्री का पद अस्वीकार करने का उदाहरण शायद श्री नानाजी देशमुख के अतिरिक्त इक्का-दुक्का ही मिलेगा ।
केवल इतना ही नहीं ,नानाजी देशमुख ने राजनीति के शीर्ष पर पहुंच कर जब यह घोषणा की कि वह साठ वर्ष की आयु में राजनीति से सन्यास ले रहे हैं तो बहुतों को उसमें कामराज- योजना की झलक दिखाई दी ।इसमें भी कुछ कूटनीति होगी ,ऐसी बहुतों को संभावना जान पड़ती थी। किंतु नानाजी देशमुख के निकट यह एक आत्म- विस्तार का निर्णय था ।इसके माध्यम से वह भारत की सनातन परंपरा में जिस प्रकार से वानप्रस्थ और सन्यास लिया जाता है, उस आदर्श को दोहरा रहे थे। उनका जैसा सरल, सहृदय ,अनुशासनप्रिय, सर्वप्रिय, समस्त कार्यकर्ताओं के दिलों को जीतने वाला और शीर्ष पर पहुंच कर भी स्वयं को एक साधारण सा कार्यकर्ता मानते हुए व्यवहार करने का उनका जो विशिष्ट गुण था वह सदैव स्मरणीय रहेगा।
श्वेत बढ़ी हुई दाढ़ी में जब हम उनके चित्र को देखते हैं तो सचमुच प्राचीन भारत के ऋषियों का स्मरण होता है ।वह भी तो ऐसे ही होंगे जैसे श्री नानाजी देशमुख थे।
**********************************
श्री नानाजी देशमुख को श्रद्धांजलि स्वरूप एक कविता
भारत रत्न श्री नानाजी देशमुख
##################
शत शत नमन नींव के पत्थर तुमको कोटि
प्रणाम
(1)
भारत रत्न हुए नानाजी, भारत के उन्नायक
कुशल संगठन कर्ता, भारत के वैभव के
गायक
बसी कार्यकर्ता के मन में, इनकी छवि अभिराम
(2)
सदा देशमुख नाना जी, निर्लोभी रीति चलाई
ठुकराने की मंत्री – पद की, आत्मशक्ति
दिखलाई
साठ साल में था इस्तीफा ,राजनीति के नाम
(3)
ग्रामोदय का किया कार्य, यह जनसेवक सच्चे
थे
सद्विचार संकल्प जगाते, नेता यह अच्छे थे
निष्कलंक इनके जीवन के, सौ-सौ शुभ
आयाम
शत शत नमन नींव के पत्थर तुमको कोटि
प्रणाम
_______________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
165 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*बल गीत (वादल )*
*बल गीत (वादल )*
Rituraj shivem verma
आप आज शासक हैं
आप आज शासक हैं
DrLakshman Jha Parimal
प्रेम.......................................................
प्रेम.......................................................
Swara Kumari arya
दूसरे दर्जे का आदमी
दूसरे दर्जे का आदमी
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
" मेरे प्यारे बच्चे "
Dr Meenu Poonia
सतत् प्रयासों से करें,
सतत् प्रयासों से करें,
sushil sarna
बाबा साहब आम्बेडकर
बाबा साहब आम्बेडकर
Aditya Prakash
2837. *पूर्णिका*
2837. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वप्न बेचकर  सभी का
स्वप्न बेचकर सभी का
महेश चन्द्र त्रिपाठी
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
वन  मोर  नचे  घन  शोर  करे, जब  चातक दादुर  गीत सुनावत।
वन मोर नचे घन शोर करे, जब चातक दादुर गीत सुनावत।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
*सब जग में सिरमौर हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम (गीत)*
Ravi Prakash
पापा मैं आप सी नही हो पाऊंगी
पापा मैं आप सी नही हो पाऊंगी
Anjana banda
बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
बुराइयां हैं बहुत आदमी के साथ
Shivkumar Bilagrami
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
ऐ दिल न चल इश्क की राह पर,
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"खुशी मत मना"
Dr. Kishan tandon kranti
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
रेलयात्रा- एक यादगार सफ़र
Mukesh Kumar Sonkar
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
अनुभूति, चिन्तन तथा अभिव्यक्ति की त्रिवेणी ... “ हुई हैं चाँद से बातें हमारी “.
Dr Archana Gupta
21वीं सदी के सपने (पुरस्कृत निबंध) / मुसाफिर बैठा
21वीं सदी के सपने (पुरस्कृत निबंध) / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
वृंदावन की कुंज गलियां 💐
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
वो लड़का
वो लड़का
bhandari lokesh
आंखों की भाषा के आगे
आंखों की भाषा के आगे
Ragini Kumari
वो जो ख़ामोश
वो जो ख़ामोश
Dr fauzia Naseem shad
छपास रोग की खुजलम खुजलई
छपास रोग की खुजलम खुजलई
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मूकनायक
मूकनायक
मनोज कर्ण
👍 काहे का दर्प...?
👍 काहे का दर्प...?
*Author प्रणय प्रभात*
कहाँ है!
कहाँ है!
Neelam Sharma
💐प्रेम कौतुक-330💐
💐प्रेम कौतुक-330💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
स्त्री एक कविता है
स्त्री एक कविता है
SATPAL CHAUHAN
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
सिपाहियों के दस्ता कर रहें गस्त हैं,
Satish Srijan
Loading...