अंज़ाम की चिंता ना करें !
अंज़ाम की चिंता ना करें !
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कई नफा-नुकसान का ध्यान रख ,
हम ज़ुल्म हर तरह के सहते जाते !
और समाज में पनप रहे सारे दरिंदे ,
ओछी हरकतों से कभी बाज न आते !!
शादी-विवाह या किसी ख़ास-ख़ास मौके पर,
वे मासूम महिलाओं को निशाना बना जाते !
महिलाएं सामाजिक मर्यादाओं का ध्यान रख ,
कभी भी इन हैवानों का विरोध ना कर पाती !!
ऐसे तत्वों का मनोबल आगे बढ़ता ही जाता ,
वो फिर किसी शिकार की तलाश में ही रहता !
एक दिन घिनौनी हरकत को अंज़ाम दे जाता !
पर समाज में तो भले लोगों में ही गिना जाता !!
वह व्यक्ति मनचाहा हरकतें करके बच जाता !
कोई कभी इन तत्वों का विरोध न कर पाता !
अच्छाई की आड़ में बुरे कर्म वो करता जाता !
और समाज को निरंतर खोखला करता जाता !!
ऐसी मानसिकता पर लगाम लगाना है जरूरी ,
भले समस्या के पीछे हो किसी की भी मजबूरी !
जब कोई समस्या हो, तुरंत समाधान है जरूरी ,
“अंज़ाम की चिंता ना करें”, तोड़ें अपनी खामोशी !!
आप आवाज़ उठाएंगे, छुपे लोग बेनकाब होंगे ,
धीरे-धीरे समाज के अंदर से ही आवाज़ उठेंगे !
ऐसे नकाबपोशों के सामाजिक बहिष्कार होंगे ,
फिर समाज में खुली हवा में सब सांस लें सकेंगे !!
ना ही कोई भय होगा, हर पथ यहाॅं निर्बाध होंगे !
ना ही अमीर – गरीब , ना कोई जात-पात होंगे !
कदमताल करते स्त्री-पुरूष अब साथ-साथ होंगे !
हर तबके के जीवन द्रुत गति से ही खुशहाल होंगे !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 28 नवंबर, 2021.
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