अंग संग रहेु
अंग संग रहेंगे सदा
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दिल की यही सदा
होंगे कभी ना जुदा
मौसम जैसा भी हो
जिएंगे जीवन अदा
मुश्किलें गर आएंगी
डट कर लड़ेंगे सदा
कैसी भी हो घड़ियां
खुश रहेंगे हम सदा
मन मंदिर में बसे हो
पूजता हूँ मैं सदा
तुम अमूल्य मोती हो
माला में रहो सदा
हरकतें मयकशी सी
हरकतों पे हम फिदा
लिया हाथों में हाथ
हाथ साथ रहे सदा
दीपक की बाती हो
जलती रहोगी सदा
सुख दुख के साथी हैं
अंग संग रहेंगे सदा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)