अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्
अंग प्रदर्शन करने वाले जितने भी कलाकार है उनके चरित्र का अस्तित्व बिल्कुल मर गया है उनको भौतिकवादी सुख ने इस प्रकार अपनी तरफ खींचा कि वे अधिक धन की चाहत में अपना मान सम्मान भी बेच चुके है।
RJ Anand Prajapati