अँखियों की भाषा
काश हमें भी समझ में आती
थोड़ी अँखियों की भाषा
हम भी उनसे कह पाते अँखियों से
अपने मन की अभिलाषा
मन की मृगतृष्णा में उलझकर
हम न ऐसे रहते
अपने मन की बाते हम भी
अँखियों से ही कहते
गर उनका दर्द छलकता
अँखियों से पढ़ लेते
खुशियाँ भी जब आती आँखों में
सबसे पहले समझ लेते
लेकिन शायद लिखा नहीं है नसीब में मेरे
अँखियों को पढ़ने की भाषा
काश हमें भी समझ में आती
अँखियों को पढ़ने की भाषा
हम भी उनसे कह पाते
अँखियों से अपने मन की अभिलाषा