🥗फीका 💦 त्यौहार💥 (नाट्य रूपांतरण)

(प्रथम दृश्य)
🏂🏔️⛷️🗻🏕️🌄🏕️🗻🏂🏔️⛷️
☎️ट्रिन… ट्रिन….ट्रिन … ट्रिन….
📞👮-हेल्लो..
📱👩-हाँ जी, गोड़ लागत हइ, बहोत बहोत बधाई हो !
📞👮-खुश रह, पर आज ये सुबह सबेरे बधाई, किस बात की।
📱👩-अजी आज 02 मार्च है, आज होली है, हैप्पी होली💦।
📞👮-ओह्ह, तुम्हे भी बहोत बहोत बधाई। और कैसी हो?
📱👩-जी सब बढ़िया, आप तो आये नही सो मैंने सोचा सुबह सुबह सबसे पहले आपको विश कर लूं तभी किचन में जाऊ।
📞👮-बहोत बढ़िया, और गांव में आज होली की तो धूम मची होगी?
📱👩-हाँ, पूरा गली रंग, गुलाल से सराबोर हो रहा है। आज पंडित जी कोभी माँ जी ने खाने पे बुला रखा है, इसलिए कल से ही किस्म किस्म के पकवान की तैयारी चल रही है।
📞👮-अरे वाह! फिर तो मज़े हो गए तुम्हारे, वैसे अम्मा है कहां?
📱👩-मंदिर️ गयी है, अब आती ही होंगी। वैसे भी बता गयी हैं कि पहले भोग और पंडित जी के लिए गर्मा-गर्म पकवान बना लो।
(अचानक गोलाबारी की आवाज शुरू हुई)
💢शहह💣बूम💥धड़ाम💨धायं💨धायं💨धायं……
📱👩-ऐ जी ये आवाज़ कैसी????
📞👮-अरे, ये कुछ नही, रक्खो तुम ओके,,
📱👩-पर हुवा क्या…..?????
📞👮-कुछ भी नही, बस ये समझ लो कि तुम्हारी तो आज होली है पर, मेरी आज भी दीवाली है। तुम अपना त्यौहार मनाओ, और मैं अपना, और हाँ ये भी ख्याल रखना की तुम्हारी वजह से घरवालो का त्यौहार फ़ीका न हो।। ओके,,, बाई,,, अपना ध्यान रखना।
📱👩-जी ठीक है, बाई, गोड़ लागत बानी…..।
👮-सन्तरी…. सन्तरी…..
💂-जयहिंद श्रीमान।
👮-जयहिंद किशोर, ये फायरिंग कहा हुई?
💂-12 नॉo पोस्ट पे सर्।
👮-ओके, सबको अलर्ट करो, मैं अभी रिपोर्ट देकर आता हूँ।
💂-जी सर जी, जयहिन्द श्रीमान।।
👮-जयहिंद।।
💥💥💥💥💥💥💥💥
(द्वितीय दृश्य)
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मंदिर से गृह स्वामिनी माता जी का आगमन….
👵-अरे.. बहु…. ओ किरण बहु.. उफ आजकल के छोकड़ा कुल न, न हाँथ धोइलन सन न मुँह सबरे सबरे होली क् हुड़दंग में निकल गइलन सन..।
अरे… ओ किरनियाँ सुनत हइ की ना…?
👩-जी …. जी माँ जी…..
👵-बहरी हो गइल बाड़ी का…. आ तोर रसोई बनल की न देख पंडित जी आवते होइहन, फटा फट दे हम अपन गोपाल जी के भोग लगा देई।
👩-जी माँ जी.. तैयार बा।
👵-ठीक तब ले आऊ जल्दी….
🔔जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा……..
माता जाकी पार्वती, पिता महदेवा………….
पण्डित जी का आगमन……
👳-जजमान… ओ जजमान…. कहवा बानी मलकाइन…?
👵-पॉव लागी पंडी जी।
👳-जय हो, जय हो, खुबे दीर्घायु बनन रह।आ जजमान कहवां बानी?
👵-उहो घरहि बानी, आई आप।
(पण्डित जी का घर मे प्रवेश।)
👴-पाँ लगी पंडी जी, आई आई ।
👳-जय हो जजमान, सदैव निरोगी रह।
👴-आई आसन ग्रहण करि भोजन तइयार बा।
👳-(खाते खाते) का बात बा मलकाइन, सब ठीक बा न।
👵-हँ जी, पंडी जी , सब माँ भगवती क् दया से ठीके बा।
👳-एबार परब में बबुआ ना अइलहन का?
👵-ना पंडी जी, छुट्टी ना मिलल ह उनके।
👳-ओहि से का? आप सबे क् त्योंहार फ़ीका बा।
👵-अरे ना जी, अईसन कउनो बात नइखे सरकारी नउकरी ह त कबो छुट्टी मिली कबो ना मिली।
👳-उ बात त बटले बा, लेकिन आइल रहतन त अपना हाँथे बाज़ार कइले रहतन, जेसे आपके घर पे आज के त्योहार के पूवा, आ ई खीर फ़ीका ना रहित।
👴-ना जी, ई फ़ीकापन चीनी के मिठास के कमी से नही बल्कि उनके ना आने के उत्साह के कमी से हो गया होगा, बाकी आप कहि त तनी अउरी मीठा मंगवा लेई।
👳-(आचमन करते हुवे) अरे नही नही जजमान बहुत स्वादिष्ट रहा, भगवान आपके ऐसे ही सहायक रहे।
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(तृतीय दृश्य)
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👩-माँ जी, ये अंश पिचकारी के लिए सुबह से रट लगाए रक्खे है, जरा इन्हें दुकान से एक पिचकारी तो दिलवा दे।
👵-अरे अब तू हूं, का होइ ई इचकारी, पिचकारी, रँगे फेके के न बा, बल्टी में घोल के फेंक ले।
दुनु माई, बेटा, खुबे पइसा फुके क् हाल जानत बाड़ जा।
👦-ना… ना… मुधे पितकारी ताहिऐ, बन्दूत वाला पितकारी ताहिऐ हुँ…. हुँ।।
👵-आरेरे,,,, ठीक बा अब रोऊ मत, केतना के मिली ई तोर बन्दूकवाला पिचकारी।
👩-छोटा मोटा देख के ले लीजियेगा, यही कोई 30 या 40 तक आ जायेगा।
👵-हे भगवान, आग लागो ई मंहगाई के भी। एगो लईका के खेलवना 40 रुपिया के,
ऐसे निक त हंथवे पे रंग लेके खेल लेईत।
👦-नही मुधे बन्दूत वाला पितकारी ताहिऐ बुहुँ.. हुँ।।
👵-ठीक बा ठीक बा, चल दीवाई तोके पिचकारी। छन भर के बाद त बेकारे होखे के बा, उ कवन काम के जे घण्टा भर बाद फेखाइये जाई। चल अब।
👦-ओए होए, पितकारी बन्दूत वाला पितकारी । ठाये ठाये हाँ हं हं
—— दुकान के लिए प्रस्थान ——-
(अछय लाल साहू की दुकान पर)
👵-ऐ अछय लाल ऐके एगो पिचकारी दिहे त भईया, हलके देख के कउनो।
🤶-गोड़ लागत हैं अम्माजी, कवन पिचकारी देइ बबुआ, ई देख हई मछली वाला देइ की हऊँ जहाज वाला।
👦-नही मुधे वो बन्दूत वाला लेनी है।
🤶-अरे वाह बाबू, ई फौजीके बेटा भी फ़ौजिये बनेंगे क्या?
👵-दे द उहे, आ केतना के बा, तनी हिसाबे से बोलिहा, तोहार सब समान महंगे रहेला हमेशा, सबकरा ले 2पइसा टाइट।
🤶-अरे नही अम्माजी, आप से हम अधिका कबो लिहे हैं, बस समझिए 60 रुपये का बेच रहे है आप 55 दे दीजिए बस।
👵-का बोललह, तनी फिर से बोल त, काहे क् 55 आ काहे क् 60, 30 रुपिया देहीम। एकर माई त कहतिया की 20 से 25 क् मिलेला ओकरा किहे।
🤶-का अम्माजी, आपो कहवां शहर की बात कर रही हैं, ई रेवतीपुर हैं, आ रोड़ का हाल आप देखिए रही हैं, ऊपर से बाज़ार महंगा। आ उनको तो लखनऊ में केन्टीन से समान लेने की आदत होगी। अब आप बताइए उहा के रेट इहा कइसे मिलेगा। बाकी आप 40 दे दीजिए, अब तो ठीक है।
👵-ना बिलकुल ना, 30 से एको पइसा भी ऊपर ना, अरे पइसा, पइसा होला कउनो ईकड़ी, ढेला थोड़े ना कि तू जेतना कह हम देइत चली।
🤶-अब अम्माजी, हमें भी तो दिन भर बैठने बिठाने पे 2 पैसा बचना चाहिए ना।
अब साहेब वाली “फौज़” की नौकरी तो हमारी है नही जो मज़े से हर महीने बैठे बैठाएं तनख्वाह आ जाये।
👵-बस बस, अब ढेर कथ मत, के बइठल बैठावल कमाता आ के ना सब ऊपर वाला जानते होइहन, ल ई 35 रुपइया अब छोड़, तोहरा किहे जबले भाव ताव ना करे त हो गइल तोहरा किहे खरीदारी।
🤶-हाँ. हाँ.. हाँ.. का अम्माजी आपो न, ठीक बा देइ अब बच्चन के खिलौना पे का मोल भाव।
(पैसे लेते हुए) ठीक अम्माजी गोड़ लागत है।
👵-जियत रह।
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(चतुर्थ दृश्य)
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🎤होली खेले रघुबिरा अवध में, होली खेले रघुबिरा…..
👩-माँ जी , देखी वहाँ दरवाजे पे कोई गौनिहार का दल आया हैं बधाई मांगने, आपको आवाज़ लगा रहे हैं।
👵-हाँ हां, सुन रहे है, पूरे देश भर का त्योहार तो बस इनको ही चढ़ा है, पी के भांग निकल लिए बस शाम को दारू मुर्गे का जुगाड़ करने।
🤴-होली की बहोत बहोत बधाई माताजी!
👨👨👦👦-हम सबके तरफ से भी आपको और आपके पूरे परिवार को होली की ढेरों बधाई।
🎤🤴-आज बिरज में होली है रसिया …आज बिरज में होली है रसिया…..
👵-ठीक बा ठीक बा, तोहरो सब लोगन के बहुत बहुत बधाई। रुक हई ल अपन बधाई।
🤴-ई क्या माताजी, ई केवल 11 रुपिया से का होइ। कम से कम 111 त देइ, पिछले बार छोटका बाबू 101दिए थे, और साथ मे एगो बोतलो भी।
👵-हां उतो पूरा घर उठा के दे दिहन, जइसे कि उ फौजी न होकस बलकि कउनो टाटा, बिड़ला होखस। ल ई 21गो बहुत बा।
🤴-खिशियाईऐ मत माताजी, कम से कम बरीस बरस का ये दिन हम सबका त्योंहार तो फ़ीका न कीजिये, छोड़िये न आपका न हमारा 51रुपया शुभ कर दीजिए।
👵-हाँ, सबकर त्यौहार त हमहि फ़ीका कइले बानी, ल फिर ई 51 रुपिया। लेकिन ई मेहनत क् कमाई के तुहु लोग खराब मत करिह जा।
🎤🤴-जयः हो माताजी,
👨👨👦👦- जयः हो ।।
होलिया में उड़ेला गुलाल भयो नभ केशरिया…..
दृश्य बदला नवान्तुक का आगमन।
👱-गोड़ लागत हई चाची, गोड़ लागत हई चाचा। होली क् बहुत बहुत बधाई।
(दोनों के पैर पर अबीर लगा कर आशीर्वाद लेते हुवे) भयवा ना आईल हन ऐ बार, डेरा गईल होइ की जाईंम त ख़र्चा करे के पड़ी। हँ… हँ… हँ….।
👴👵-(एक स्वर में) खुबे खुश रह बचवा।
👴-उसे छुट्टी मिलता तो वो रुकता थोड़े ही।
👵-हँ, हर बार सबकरा शादी, बियाह, तिलक, गवना सम्भाले खातिर मिल जाला, बस अपने बेरिया डाढ़ा फुखले रहेला ।
👱-अरे ना चाची, एहिसन बात नइखे।
हमनी क् न जानत बानी जा की संगतियाँ बिना हमनी के त्यौहार केतना उदास बीतता।
छोड़ ई सब हई बताव की भौजाई आज बनइले का बाड़ी, ले आव तनी दहीबाड़ा, सहीबाड़ा चिखईबु की सुखले सुखले कथा होइ। हँ… हँ… हँ…।
👵-अरे काहे ना बचवा, बस अभिये ले आवत बानी।
👱-(खाते हुवे) का चाची, आज त कम से कम सजाव दही में एके बनवईले रहतु। आजो कंजूसी, कहवा रखबू बचा के। हँ.. हँ.. हँ..।
👵-देख¡ बचवा, खात बने त खा, बाकी छिप मत काट। बचाई न त का रोड़ पे फेख देहि एतना कुबेर क् खजाना मिलल बा का?
👱-चाची! भगवान करस की कुबेर बरसो तोहरा पर, तोहरे लोगन ख़ातिर भयवा जाने केतना तकलीफ उठावत होइ, त कम से कम तू सबे त मस्त रह जा ताकि ओकर एने क् चिंता न रहे।। बाकी सब भगवान देखिहन।।
👵-ई बात त बटले बा, आज उनकरा बिना मय रंग बेरंग बा, आ मय पकवान फ़ीका।
(अचानक घर के भीतर से एक जोर की चीख और कुछ बर्तन गिरने की आवाज आती हैं)
👩-माँ 🔈..जी 🗯️…….
…..छन्न💨न्नन…..🔊.।।
अंदर के कमरे से बैठके में आती हुई Television की आवाज़ शनैः शनैः तीव्र होने लगी।
📺-आज का मुख्य समाचार….
🔈-आज फिर भारत पाक सीमा पर पाकिस्तान ने किया सीज फायर का उलंघन।
🔉-सुबह से ही पाकिस्तान के तरफ से भारतीय पोस्टो पर भारी बम बारी।
🔉-भारतीय जवानों ने भी की जबाबी कार्यवाही।
🔊-दो भारतीय जवान शहीद।………
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(पंचम व अंतिम दृश्य)
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(घटनाक्रम से लगभग 03 महीने बाद)
👩-माँ जी; वो माँ जी.., सुन रहीं हैं?
👵-का भईल, काहे ऐतना उतावली हो ताडू, ढेर पाँख जाम गईल बा का?
👩-जी उ क्या हैं न कि… वो आ रहें हैं…..
वो अंश के पापा आ रहें हैं ।
उन्हें छुट्टी मिल गयी, पूरे 60दिन की।
👵-हे माँ भगवती। हम अभी जा के पंडी जी से सुंदरकांड बिठावे क् दिन निकलवा के आवत बानी।
मय संकट त बजरंगे बलि क् हरल बा। जय हो संकट मोचन जय हो।।
……………………………………..
👮-अम्माँ.., बाबूजी..,
अरे रे रे अंश बेटा, कैसा है मेरा बाबू। गोड़ लागत हई अम्माँ, बाबूजी गोड़ लागत हई।
👴-खुश रह।
👵-जुग जुग जिय बेटा, तोहे देख के करेजा में ठंडक पड़ गईल, ना त सांस त रुकले रहल, ना त वो दिन क् खबर सुन के त भुजाईल की सबकर पराने निकल जाई।
👮-का अम्माँ तुहू कहाँ की बात कहाँ ले जाती हो, और फौज में हम अकेले ही है क्या? न जाने हमारे जैसे कितने…..
वैसे भी हमारे पास तो तुम्हारा आशीर्वाद हैं ही, फिर तू क्यों इतना घबरा जाती हैं।
👵-हाँ, हाँ हमहि खाली घबरातानी जरा ओकरे से त पूछ जे दुई दिन तक अनाज पानी छोड़ले रहे, जब तक तोर खबर ना मिलल तबतक सबके आजिज कइले रहे।
👮-अरे ठीक बा भाई, हम कुछ बोल थोड़े रहे हैं, अब भूख लगी हैं फटाफट कुछ बनाओ अपने हाथ का, कई दिनों बाद आज कुछ स्वाद तो ले खाने का।
👵-जरूर काहे ना, तू नहा धो के तैयार होख तबतक हम अपना हाँथे कुछ बना देत बानी।
👮-कुछ ना अम्माँ, पूरा वो होली वाला पकवान रोट, पूवा, सोहारी, खीर सब।
👵-बेटा, उत अब काल सुंदरकांड क् पाठ बइठला क् बादे बनाइम, ई जान के की हमनी क् त होली आजे ह।
जब तू रहब तबे परिवार क् होली आ दीवाली होई, नही त सब त्यौहार फ़ीका फ़ीका रह जाई।।
👮-वाह अम्मा, अगर ऐसा है तो 23 अगस्त को वापस जाने से पहले मैं दीपावली और अंश का Birthday भी मना के ही जॉऊगा, क्योंकि हो सकता है इस बार मुझे दीपावली में भी छुट्टी न मिलें।
वो क्या हैं न कि पिछली दीपावली में हमारे रिसाला परिवार के बीच प्रधानमंत्री जी आये थे दीपावली मनाने और हम सब रिसालियनो का मनोबल बढ़ाने, तो हो सकता है कि इस बार भी कोई न कोई आये हम फौजियों का हिम्मत बढ़ाने।।
और हाँ जाते समय अपने हाथों से छठ का ठेकुआ भी बना के दे देना, अपने उन बेटो के लिए जो मेरे साथ रहते हैं और जिनके बिना उनके घर वालो का भी त्यौहार, “फीका त्यौहार” रहता हैं।।
– इतिश्री –
@कथनांक-
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
ग्राम व पोस्ट रेवतीपुर, गाज़ीपुर- २३२३२८
(सर्वाधिकार सुरक्षित ०९/०२/२०१८)