जिन्दगी में कभी रूकावटों को इतनी भी गुस्ताख़ी न करने देना कि
किसी महिला का बार बार आपको देखकर मुस्कुराने के तीन कारण हो स
समय की धारा रोके ना रुकती,
प्रेमी-प्रेमिकाओं का बिछड़ना, कोई नई बात तो नहीं
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसद्दस मुज़ाफ़
"स्याह रात मैं उनके खयालों की रोशनी है"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
जो दिखाते हैं हम वो जताते नहीं
ग़ज़ल _नसीब मिल के भी अकसर यहां नहीं मिलता ,
😟 काश ! इन पंक्तियों में आवाज़ होती 😟
*सीधे-सादे चलिए साहिब (हिंदी गजल)*
हिन्द की हस्ती को
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'