■ समझ का अकाल
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■ फ़र्क़ तो समझो…
जो अंतर अंग्रेज़ी वर्णमाला के “जे” और “ज़ेड” में है, वही उर्दू के “ज” और “ज़” में है। यह बात उन सभी को समझनी चाहिए, जो एक बारीक़ से फ़र्क़ की अनदेखी के बीच अर्थ का अनर्थ कर बैठते हैं। आप ख़ुद तय करिए कि आपको “जलील (पूजित/सम्मानित)” बनना पसंद है या “ज़लील (तुच्छ/अधम)?” यह केवल उनके लिए है, जिनके पास थोड़ी सी समझ और ज़रा सी भी ग़ैरत है।
■प्रणय प्रभात■