*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
क्या मथुरा क्या काशी जब मन में हो उदासी ?
वो झील-सी हैं, तो चट्टान-सा हूँ मैं
आरक्षण
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
"अर्पित भाव सुमन करता हूँ "
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
यह कौनसा आया अब नया दौर है
भारी पहाड़ सा बोझ कुछ हल्का हो जाए
बुंदेली दोहे- खांगे (विकलांग)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*मेरे सरकार आते हैं (सात शेर)*
न जमीन रखता हूँ न आसमान रखता हूँ
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
चकोर हूं मैं कभी चांद से मिला भी नहीं।
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
यूं ही नहीं कहते हैं इस ज़िंदगी को साज-ए-ज़िंदगी,
जिंदगी कि सच्चाई
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर