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27 Jan 2017 · 1 min read

हौसले जब भी आजमाए हैं

हौसले जब भी आजमाए हैं
आंधियो में दिए जलाए हैं

आज सौदा यहीँ कहीं होगा
खूब दौलत वो साथ लाए हैं

गैर मुल्को में कोई इनका है
जिसके झंडे ये सब उठाए हैं

वो हुनरमन्द अब नही आता
जिसकी कीमत चुका के आए हैं

पी गया वो शराब जितनी थी
बिन पिए हम तो लड़खड़ाए हैं

प्यार तुझसे हुआ इसी खातिर
हमने दुश्मन नए बनाए हैं

ऐक रिश्ता निभा के जिन्दा है
हमने रिश्ते नही निभाए हैं

उसने हर गाम चोट खाई है
जिसके चेहरे में गम के साए हैं

क्या मुहब्बत ने गुल खिलाए हैं
चाँद तारे जमीं पे आए हैं

कोई पहचान ले न हमको भी
आज सूरत बदल के आए हैं

………कवि विजय ………….

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 1 Comment · 162 Views
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