Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2022 · 1 min read

*होता कभी बिछोह 【 गीत 】*

*होता कभी बिछोह 【 गीत 】*
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
कभी मिलन की बेला आती, होता कभी बिछोह
【 1 】
चक्र चल रहा इस धरती पर ,आने का-जाने का
समय नियत है महाकाल का ,सबको ही खाने का
साथ रहा जो जितना उससे ,होता उतना मोह
【2】
कौन जान पाया क्यों लेते, जन्म जगत में आते
किसे पता हम खेल-खेल में, क्यों सौ बरस बिताते
नहीं मिली है आत्मतत्व की ,अब तक कोई टोह
कभी मिलन की बेला आती ,होता कभी बिछोह
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
*रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99976 15451*

75 Views

Books from Ravi Prakash

You may also like:
न जाने तुम कहां चले गए
न जाने तुम कहां चले गए
Ram Krishan Rastogi
बरसात की रात
बरसात की रात
Surinder blackpen
बहकने दीजिए
बहकने दीजिए
surenderpal vaidya
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
Dr Archana Gupta
मेरे जग्गू दादा
मेरे जग्गू दादा
Baishali Dutta
अब कितना कुछ और सहा जाए-
अब कितना कुछ और सहा जाए-
डी. के. निवातिया
💐प्रेम कौतुक-298💐
💐प्रेम कौतुक-298💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
तुम्हारे रुख़सार यूँ दमकते
तुम्हारे रुख़सार यूँ दमकते
Anis Shah
एक हकीक़त
एक हकीक़त
Ray's Gupta
वादा तो किया था
वादा तो किया था
Ranjana Verma
विद्यालय
विद्यालय
श्री रमण 'श्रीपद्'
जो पहली ही ठोकर में यहाँ लड़खड़ा गये
जो पहली ही ठोकर में यहाँ लड़खड़ा गये
'अशांत' शेखर
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
DrLakshman Jha Parimal
*गगन में चौथ के भी चंद्र का टुकड़ा जरा कम है (मुक्तक)*
*गगन में चौथ के भी चंद्र का टुकड़ा जरा कम...
Ravi Prakash
ओ मेरे हमदर्द
ओ मेरे हमदर्द
gurudeenverma198
माँ (ममता की अनुवाद रही)
माँ (ममता की अनुवाद रही)
Vijay kumar Pandey
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
प्यार हो जाय तो तकदीर बना देता है।
Satish Srijan
इन वादियों में फिज़ा फिर लौटकर आएगी,
इन वादियों में फिज़ा फिर लौटकर आएगी,
करन मीना ''केसरा''
देश के नौजवान
देश के नौजवान
Shekhar Chandra Mitra
🏠कुछ दिन की है बात ,सभी जन घर में रह लो।
🏠कुछ दिन की है बात ,सभी जन घर में रह...
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नारी से संबंधित दोहे
नारी से संबंधित दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Seema gupta,Alwar
आईने में अगर जो
आईने में अगर जो
Dr fauzia Naseem shad
"हस्ताक्षर"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरी अंतरात्मा..
मेरी अंतरात्मा..
Ankit Halke jha
कोयल कूके
कोयल कूके
Vindhya Prakash Mishra
■ सीधी बात, नो बकवास...
■ सीधी बात, नो बकवास...
*Author प्रणय प्रभात*
माँ के सपने
माँ के सपने
Rajdeep Singh Inda
भूले बिसरे दिन
भूले बिसरे दिन
Pratibha Kumari
तेरी ज़रूरत बन जाऊं मैं
तेरी ज़रूरत बन जाऊं मैं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...