Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2023 · 1 min read

मुबहम हो राह

होकर न होने का ख्याल क्या मजबूरी है?
कश्मकश वजह से ही जिंदगी से दूरी है।
मुबहम हो राह तो खोज ले हमनवां कोई,
खुद के होने का अहसास बहुत जरूरी है।

सतीश सृजन

Language: Hindi
64 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
प्रेममे जे गम्भीर रहै छैप्राय: खेल ओेकरे साथ खेल खेलाएल जाइ
प्रेममे जे गम्भीर रहै छैप्राय: खेल ओेकरे साथ खेल खेलाएल जाइ
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
_सुलेखा.
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
वो राह देखती होगी
वो राह देखती होगी
Kavita Chouhan
ग़ज़ल _ मिरी #मैयत पे  रोने मे.....
ग़ज़ल _ मिरी #मैयत पे  रोने मे.....
शायर देव मेहरानियां
Poem on
Poem on "Maa" by Vedaanshii
Vedaanshii Vijayvargi
जो मौका रहनुमाई का मिला है
जो मौका रहनुमाई का मिला है
Anis Shah
सत्य को सूली
सत्य को सूली
Shekhar Chandra Mitra
कोयल कूके
कोयल कूके
Vindhya Prakash Mishra
एक पते की बात
एक पते की बात
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ये लखनऊ है ज़नाब
ये लखनऊ है ज़नाब
Satish Srijan
■ प्रयोगशाला बना प्रदेश, परखनली में शिक्षा
■ प्रयोगशाला बना प्रदेश, परखनली में शिक्षा
*Author प्रणय प्रभात*
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
हास्य कथा :अहा कल्पवृक्ष
Ravi Prakash
हमारा देश भारत
हमारा देश भारत
surenderpal vaidya
मातृदिवस
मातृदिवस
Dr Archana Gupta
संत ज्ञानेश्वर (ज्ञानदेव)
संत ज्ञानेश्वर (ज्ञानदेव)
Pravesh Shinde
💐प्रेम कौतुक-289💐
💐प्रेम कौतुक-289💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"परिवार क्या है"
Dr. Kishan tandon kranti
खुद का साथ
खुद का साथ
Shakuntla Shaku
जाने क्यूँ उसको सोचकर -
जाने क्यूँ उसको सोचकर -"गुप्तरत्न" भावनाओं के समन्दर में एहसास जो दिल को छु जाएँ
गुप्तरत्न
एक मुक्तक
एक मुक्तक
सतीश तिवारी 'सरस'
कर गमलो से शोभित जिसका
कर गमलो से शोभित जिसका
प्रेमदास वसु सुरेखा
जिंदगी एक ख़्वाब सी
जिंदगी एक ख़्वाब सी
डॉ. शिव लहरी
दोहे ( किसान के )
दोहे ( किसान के )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बनारस
बनारस
सुशील मिश्रा (क्षितिज राज)
दुनिया भी तो पुल-e सरात है
दुनिया भी तो पुल-e सरात है
shabina. Naaz
बीते कल की रील
बीते कल की रील
Sandeep Pande
स्वयं का बैरी
स्वयं का बैरी
Dr fauzia Naseem shad
मेहनत तुम्हारी व्यर्थ नहीं होगी रास्तो की
मेहनत तुम्हारी व्यर्थ नहीं होगी रास्तो की
कवि दीपक बवेजा
Loading...