हे राम तुम्हें अब आना होगा
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राम तुम्हें अब आना होगा
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राम तुम्हें अब आना होगा।
आकर पाप मिटाना होगा।
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दुराचार से व्याकुल वसुधा।
उसका बोझ घटाना होगा।
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राम लखन सा भ्रातृ प्रेम अब-
मानव मन में जगान होगा।
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रघुकुल का वो रीत वचन का-
फिर से तुम्हें निभाना होगा।
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हर मन मे रावण बैठा अब।
भगवत रूप दिखाना होगा।
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त्रास हरण कर मानव मन का।
धर्म ध्वजा फहराना होगा।
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व्यथित तमस से है वसुधा अब-
सत्य का सूर्य उगाना होगा।
………..✍? स्वरचित
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”