हम जनमदिन को कुछ यूँ मनाने लगे

हम जनमदिन को कुछ यूँ मनाने लगे।
एक पौधा खुशी पर लगाने लगे।।
मिल के खुशियां मनाते सभी जन यहां।
गीत पर्यावरण के ही गाने लगे।।
जो भी हमको मिला साथ लेकर चले।
भाव समरसता का हम जगाने लगे।।
हमने ली है शपथ साथ हरियाली की ।
हर गली कूचे पौधे लगाने लगे।
गाँव इक दिन शहर में बदल जाएगा।
‘कल्प’ राहों में हम गुल खिलाने लगे।।
✍? अरविंद राजपूत ‘कल्प’