हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
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हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
हम चराग हाथों में लिये ढूंढते रहे
रोशनी
उनका नकाब जो उतरा
वो तो महताब निकले
भवानी सिंह “भूधर”
हमें लगा कि वो, गए-गुजरे निकले
हम चराग हाथों में लिये ढूंढते रहे
रोशनी
उनका नकाब जो उतरा
वो तो महताब निकले
भवानी सिंह “भूधर”