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8 Feb 2023 · 1 min read

सोचता हूँ

सोचता हूँ कुछ सिफ़त कहूँ तेरी शान में,
लेकिन तेरा कद ला बयाँ दिखता है।
कोई भी लफ्ज़ मुनासिब है बैठता ही नहीं ।
तेरी तारीफ़ में फिर क्या कुछ लिखूं कैसे।

सतीश सृजन

Language: Hindi
64 Views
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