*** सैर आसमान की….! ***
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/45a090a0e0f605a305daf6bb697d5914_85a426c5565155a53796da6aa511606a_600.jpg)
“” आ चल विज्ञान-परी से…
आसमान की सैर करते हैं…!
चल अपने अरमान को…
नील गगन में गढ़ते हैं…!
नई विकल्प से, नये संकल्प…
चल आसमानी रंग में रंगते हैं….!
हमें बीच राह में…
अब कहीं नहीं रूकना है…!
हमें अपनी हौसले की परख है…
अब नहीं चुकना है…!
ये सफ़र भले ही लंबी है…
पर.. अपने इरादे भी पक्की है…!
माना कि इस सफ़र में…
अपनी कोई पंख नहीं…!
लेकिन…! ये अदम्य हौसले की उड़ान है,
अपनी ” दृष्टि-संकल्प भी…
कोई पंख से कम नहीं…!
नई चुनौतियों से टकराना है…
मुश्किल से नहीं घबराना है…!
अब तो हमें आसमान में…
एक आशियाना ज़रुर बनाना है…!! “”
**********∆∆∆**********