Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 2 min read

सूरज नहीं थकता है

सूरज को चैन कहां, आराम कहां, अभिमान कहां?
जहां भी रहता है, रैन कहां, रात कहां,अंधकार कहां?
उसे पता है, आगे और जाना है अभी कहां- कहां?
कभी उत्तरायण होता है, कभी दक्षिणायन होता है
पूरब से निकलता है, पश्चिम में जाकर छिप जाता है
एक क्षितिज से निकल , दूसरे क्षितिज को जाता है।

सूरज को चैन कहां, आराम कहां, अभिमान कहां
हम सोएं रहते हैं, खिड़की से वह झांकने लगता है
गरीबों के छप्पर के छेदों से उन्हें वह जगाने आता है
“उठो -उठो, जागो- जागो अग्रसर हो, वह कहता है”
कुछ करों, करने में लगो, व्यर्थ क्यों तुम सोते हो
बहुत हुआ आराम,अब काम करों, कर्म ही जीवन है।

वह तो आपेक्षिक रूप से स्थिर है, पर उसमें भी गति है
पृथ्वी चलती है, अपनी धुरी पर अविराम घूमती भी है
पृथ्वी चलती है घूम कर फिर अपनी जगह आती भी है
सूरज के प्रभा से तम तिरोहित, चांद मद्धम होता है
असंख्य सितारें अदृश्य हो आकाश में छिप जाते हैं
तुम्हारे आने से जग और जगत आलोकित हो जाते हैं ।

हे सर्व शक्तिमान! हे प्रकृति के पौरुष ! हे दिनमान !
रश्मि- रथ लेकर सात घोड़े पर सवार धरती पर आते हो
आदित्य एल-1 रहस्यों का पता लगाने भारत ने भेजा है
कितनी गर्मी कितनी करने तुम्हारे छाती में समाया है?
जिस दिन तुम मुसाफिर/ पथिक की तरह थक जाओगे
न रहेगा जीवन, हवा, पानी, पर्यावरण कहां रह पाएगा।

सूरज को चैन कहां ,आराम कहां, अभिमान कहां ।
जहां भी रहता है, रैन कहां, रात कहां, अभिमान कहां।
,*********************”**************
@मौलिक रचना घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

Language: Hindi
235 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ghanshyam Poddar
View all

You may also like these posts

..
..
*प्रणय प्रभात*
दोस्ती का मर्म (कविता)
दोस्ती का मर्म (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
The engulfing darkness and the silence stretched too long,
The engulfing darkness and the silence stretched too long,
Manisha Manjari
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-170
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
अधिकतर प्रेम-सम्बन्धों में परिचय, रिश्तों और उम्मीदों का बोझ
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
लछमीनिया क' बात सुनू..
लछमीनिया क' बात सुनू..
मनोज कर्ण
क्या थी क्या हो गई मां
क्या थी क्या हो गई मां
संदीप कुमार कमल
Respect women!
Respect women!
Priya princess panwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
प्रेम
प्रेम
Rambali Mishra
"सन्देशा भेजने हैं मुझे"
Dr. Kishan tandon kranti
" शांत शालीन जैसलमेर "
Dr Meenu Poonia
जीवंतता
जीवंतता
Nitin Kulkarni
हिन्दी
हिन्दी
Dr.Pratibha Prakash
*दुविधाओं*
*दुविधाओं*
Acharya Shilak Ram
"Jun88 là một trong những nhà cái có kho game trả thưởng đa
jun88net
उसने घर की चौखट को जब से ऊंचा कर लिया है
उसने घर की चौखट को जब से ऊंचा कर लिया है
दीपक बवेजा सरल
माँ से मिलने के लिए,
माँ से मिलने के लिए,
sushil sarna
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
सफ़र आसान हो जाए मिले दोस्त ज़बर कोई
आर.एस. 'प्रीतम'
साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
साक्षात्कार- पीयूष गोयल लेखक
Piyush Goel
बिखरना
बिखरना
Dr.sima
उज्ज्वल वर्तमान उज्ज्वल भविष्य का दर्पण है।
उज्ज्वल वर्तमान उज्ज्वल भविष्य का दर्पण है।
Rj Anand Prajapati
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
दिन गुज़रते रहे रात होती रही।
डॉक्टर रागिनी
नहीं मरा है....
नहीं मरा है....
TAMANNA BILASPURI
खत्म हुआ है दिन का  फेरा
खत्म हुआ है दिन का फेरा
Dr Archana Gupta
हवाएं क्या कहती है
हवाएं क्या कहती है
amankumar.it2006
कोशिशों  पर  यक़ी  करो अपनी
कोशिशों पर यक़ी करो अपनी
Dr fauzia Naseem shad
जीवन और जिंदगी
जीवन और जिंदगी
Neeraj Kumar Agarwal
4735.*पूर्णिका*
4735.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धन
धन
रेवन्त राम सुथार
Loading...