सुन्दर सलोनी
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|| सुन्दर सलोनी ||
तुम सुंदर है सुशील है पर सलोनी हुई तुमसे एक भूल है।
वह मैं बता नहीं सकता, क्योंकि वह तुम्हारे लिए त्रिशूल है।।
तुम चांद जैसी खूबसूरत है गंगा जैसी पवित्र।
पर तुम्हारे शरीर से एक बू आती है जैसे मानो की लगा इत्र।।
तुम्हारे चेहरे की ए मुस्कान सब बयां करती है।
कि तुम दिल से नहीं मजबूरी में हंसती है।।
मैं जानता हूं कि तुम मेच्योर नहीं अनमेच्योर हो।
पर यह भी नहीं कह सकता कि तुम सिक्योर हो।।
शायद यह गलती तुम्हारी नहीं तुम्हारी परिवार की है।
जिसे विश्वास की आड़ में तुम बेकार की है।।
बुरा मत मानना मैं एक कवि हूं।
किसी का बिगाडना नहीं चाहता छवि हूं।।
क्योंकि मैं झूठ बोल नहीं सकता, नहीं सच छुपा सकता हूं।
यही तो एक माध्यम है कहने की, जिससे मैं बता सकता हूं।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳