सारी फिज़ाएं छुप सी गई हैं
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/1c72f5d5139c53217357e4cb92eadacf_d4dccd1bec88c93d3272a6813adfed7e_600.jpg)
सागर की लहरें रुक सी गई हैं
काली घटाएं झुक सी गई हैं
जबसे आए हो तुम जिंदगी में
सारी फिज़ाएं छुप सी गई हैं-सागर की लहरें
जाग उठी हैं दिल की तरंगें
उभर आई हैं नई-नई उमंगें
खामोशियाॅ॑ ज्यूं छंट ही गई हैं-सागर की लहरें
नहीं रहा अब घोर अंधेरा
चहूॅ॑ और ज्यूं खिला सवेरा
मायूसियाॅ॑ दिल से हट ही गई हैं-सागर की लहरें
ख्वाब ले रहे हैं अंगड़ाई
दूर हुई गमों की परछाई
तन्हाईयाॅ॑ जैसे बंट सी गई हैं-सागर की लहरें
इंद्रधनुषी रंग बिखरे हैं
जैसे कि सप्तसुर निखरे हैं
‘V9द’ महफ़िलें से सी गई हैं-सागर की लहरें