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14 Jan 2023 · 1 min read

*सरकार तुम्हारा क्या कहना (हिंदी गजल/ गीतिका)*

*सरकार तुम्हारा क्या कहना (हिंदी गजल/ गीतिका)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
मस्ती के जाम पिलाते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
सुधियाँ सारी बिसराते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
(2)
कब धूप-अगरबत्ती जलती, कब छिड़का जाता इत्र कहीं
भीतर-बाहर महकाते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
(3)
कब कुछ आकार तुम्हारा है, सूरत कब देख तनिक पाए
फिर भी अहसास दिलाते हो ,सरकार तुम्हारा क्या कहना
(4)
किस्मत वालों का होता है, किस्मत से मिल पाना तुमसे
किस्मत से ही तुम आते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
(5)
धनवानों के रह जाते हैं ,सोने-चाँदी के महल खड़े
निर्धन के घर तुम खाते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
(6)
आने का पता चले कैसे ,न बाजा-न शहनाई बजी
तुम मौन-गीत-मधु गाते हो, सरकार तुम्हारा क्या कहना
(7)
कब आता तुम्हें बुलाने में, प्रभु ! पैसा-पाई का खर्चा
अनमोल मुफ्त मिल जाते हो, सरकार तुमारा क्या कहना
—————————————————-
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451

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