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5 Mar 2017 · 1 min read

समय रहते, तुम सतत ही

समय रहते, तुम सतत ही,
हर काम कुछ ऐसा करो।
समझ कर, सोच कर ढ़ंग से,
अपना कदम आगे धरो। कुछ और आगे तो बढो।
बन सको तुम अगर शिल्पी ,
मूर्ति को सुन्दर बनाओ।
इस तरह से तुम तराशो,
आत्मा इस में जगाओ। तुम इॅचाई तो चढ़ो।
आँख में झलके सजलता,
और मुख पर हो सरलता।
प्रेम औ सदभाव की ऐसी-
दिखाओ तुम कुशलता। मूर्ति बस ऐसी गढ़ो।
धैर्य निष्ठा बलवती हो,
सत्य इस में हो उजागर।
भाव श्रद्धा का दिखे बस,
प्रेम से भर जाय गागर। ढाई अक्षर तो पढ़ो।
कुछ और आगे तो बढ़ो।

Language: Hindi
Tag: कविता
362 Views

Books from Dr. Harimohan Gupt

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