Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Dec 2022 · 1 min read

समय देकर तो देखो

समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए
पुराने-कड़वे रिश्तों में
शायद थोड़ी-सी मिठास भर आए।
दुश्मनी की मशालों में
आग शायद थोड़ी कम हो जाए।
भटके हुए मुसाफिरों को
राह उनको कोई सही मिल जाए।
समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए
ज़िन्दगी में आई मुश्किलों का
हल जल्दी से कोई मिल जाए।
दो पीढ़ियों के बीच की खाई
शायद थोड़ी सी भर जाए।
जिन्होंने किया छल तुमसे
शायद उन्हें अपनी गलती मालूम हो जाए।
तुमनें भी अगर की होगी गलतियां
तो शायद तुम्हें उनका पछतावा हो जाए।
समय देकर तो देखो
शायद सब कुछ ठीक हो जाए।

Language: Hindi
Tag: कविता
3 Likes · 1 Comment · 73 Views
You may also like:
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
मनोज कर्ण
इश्क रोग
इश्क रोग
Dushyant Kumar
मेरा हैप्पी बर्थडे
मेरा हैप्पी बर्थडे
Satish Srijan
तुम मेरे मालिक मेरे सरकार कन्हैया
तुम मेरे मालिक मेरे सरकार कन्हैया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जीवन-दाता
जीवन-दाता
Prabhudayal Raniwal
शब्द कम पड़ जाते हैं,
शब्द कम पड़ जाते हैं,
laxmivarma.lv
पूज्य हीरा बा के देवलोकगमन पर
पूज्य हीरा बा के देवलोकगमन पर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बंधन
बंधन
दशरथ रांकावत 'शक्ति'
प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
Shyam Singh Lodhi (LR)
शायरी संग्रह
शायरी संग्रह
श्याम सिंह बिष्ट
तुम्हारे रुख़सार यूँ दमकते
तुम्हारे रुख़सार यूँ दमकते
Anis Shah
रंगों की सुखद फुहार
रंगों की सुखद फुहार
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
हमारे जीवन में शिक्षा महत्व
हमारे जीवन में शिक्षा महत्व
इंजी. लोकेश शर्मा (लेखक)
फिर मिलेंगे
फिर मिलेंगे
साहित्य गौरव
मैं रावण हूँ.....
मैं रावण हूँ.....
कुंदन सिंह बिहारी
Writing Challenge- दरवाजा (Door)
Writing Challenge- दरवाजा (Door)
Sahityapedia
त्याग करने वाला
त्याग करने वाला
Buddha Prakash
अति आत्मविश्वास
अति आत्मविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
⭐⭐सादगी बहुत अच्छी लगी तुम्हारी⭐⭐
⭐⭐सादगी बहुत अच्छी लगी तुम्हारी⭐⭐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell....
चौवालीस दिन का नर्क (जुन्को फुरुता) //Forty-four days of hell....
साहित्य लेखन- एहसास और जज़्बात
■ आलेख / हमारी पहचान
■ आलेख / हमारी पहचान
*Author प्रणय प्रभात*
यूं मरनें मारनें वाले।
यूं मरनें मारनें वाले।
Taj Mohammad
आज की प्रस्तुति - भाग #1
आज की प्रस्तुति - भाग #1
Rajeev Dutta
लोरी (Lullaby)
लोरी (Lullaby)
Shekhar Chandra Mitra
होली का त्यौहार (बाल कविता)
होली का त्यौहार (बाल कविता)
Ravi Prakash
“ वसुधेव कुटुम्बकंम ”
“ वसुधेव कुटुम्बकंम ”
DrLakshman Jha Parimal
पिता का पता
पिता का पता
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
ज़िंदगी का सफ़र
ज़िंदगी का सफ़र
Dr fauzia Naseem shad
झुकी नज़रों से महफिल में सदा दीदार करता है।
झुकी नज़रों से महफिल में सदा दीदार करता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अज्ञानता
अज्ञानता
Shyam Sundar Subramanian
Loading...