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6 Feb 2017 · 1 min read

**समय का पौधा..समय के साथ **

*

इक नन्हा सा पौधा सींचता हूँ रोज में अपनी बगिया में
नन्हे नन्हे से उस पते को सहजता हूँ रोज मैं बगिया में
बनेगा वो इक पेड़ इक दिन.इस आशा के साथ जी रहा हूँ
जो मुझे सींचा मेरे माता पिता ने, बस वो ही बढ़ा रहा हूँ !!

समय का चक्कर देखा है,,कभी रुका नहीं रोकने से भी
कितने अरमान चाहे हों मन में, सब को हटा देता है वो
धराशाई कर देता है..हर मंजिल को अपने वकत के साथ
पुरानो को मिटटी में, और नए को जीवन दे देता है अपने साथ !!

कष्ट काट काट कर इंसान जीवन गुजार देता है वक्त के साथ
और वकत सब से बड़ा मरहम लगा देता है जख्मो पर अपने साथ
सकूं भी देता है, आशा भी देता है, मन को भा जाता है सब के साथ
भटके हुए इंसानों को भी,,इंसान बना देता है,,वो वकत के साथ !!

अजीत तलवार
मेरठ

Language: Hindi
Tag: कविता
149 Views

Books from गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार

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