सब सूना सा हो जाता है
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जब दूर कहीं चले जाते हो,
सब सूना सा हो जाता है।
आंखे मलूल हो जाती हैं,
दिल चैन कहीं न पाता है।
सब सूना सा हो जाता है।
दिल चैन कहीं न पाता है।
इस घर के कोने कोने में,
जगने में या फिर सोने में,
सब कुछ वैसे अनुबंध वहीं,
पर गुम दिखती वो सुगंध कहीं।
नीरवता से भर जाता है,
सब सूना सा हो जाता है।
टीवी सोफा घर बार में है
म्यूजिक व ए सी कार में है
खाने पीने की नहीं कमी,
घेरे रहती अनजान गमी।
फिर क्यों सुकून नहीं आता है,
सब सूना सा हो जाता है।
जीवन के हैं दिन चार प्रिय,
तुम संग तब सब साकार प्रिय,
मन हो जाता लाचार प्रिय,
तुझ से है इतना प्यार प्रिय।
तेरे बिन कुछ न भाता है,
सब सूना सा हो जाता है।