सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/643e4f181646944ffd0725fe44b856e9_f09741601eebd234db6598713f2bcbed_600.jpg)
सबरी के जूठे बेर चखे प्रभु ने उनका उद्धार किया।
केवट की नाव चढ़े रघुनंदन भव सागर से पार किया।।
कोल किरात भील बनवासी सबको प्रभु ने अपनाया।
दिन दुखी को गले लगाकर सबका बेड़ा पार किया।।
गिद्ध अजामिल गणिका पर प्रभु ने दिखलाई करुणाई।।
सोया भारत फिर जाग रहा ले रहा सनातन अंगड़ाई।।
🌹जय श्री राम🌹