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11 Oct 2022 · 1 min read

सबतै बढिया खेलणा

मेरी कविता का हरियाणवी अनुवाद
अनुवादक -पवन गहलोत

सबतै बढिया खेलणा

बाळकपण म्हं
मेरे ढब्बी
माड़ी सी बी
नोक-झोंक होण पै
मेरा जी दुखाण तई
तोड़ दिया करै थे
मेरे माट्टी के खेलणे
फेर आज-काल के ढब्बी
होत्ते ए
थोड़ी-सी नोक-झोंक
तोड़ दे सैं, दिल नै ए
दीक्खै आज-काल
यो ए सै
सबतै बढिया खेलणा।

*- विनोद सिल्ला*

(अनुवाद – पवन गहलोत )

1 Like · 60 Views
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