सच ही सच
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शीर्षक – सच ही सच
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सच ही सच यही जीवन होता हैं। जीवन और जिंदगी का सच ही सच होता है। सच हमारे दर्द का आईना होता हैं। खबावो का जहां सच कहां होता हैं। आज आधुनिक हम सच बदलते रहते हैं। हम मानव की सोच स्वार्थ के साथ सच कहती हैं। आज आंखों की नमी सच कौन देखता हैं। एहसास वो अजनबी राह पर चलाता रहता हैं।
सच तो जीवन बस एक राह होती हैं
हां चलते चलते कब सच की शाम होती हैं
सच हम समझे तब तक राह खत्म होती हैं
बस यही जिंदगी कुदरत के साथ सच ही सच होता हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र