*संतुष्ट मन*
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संतुष्ट मन
हमें ऐसा क्या मिल जाए तो हम प्रसन्न चित्त हो जाएं…..
एक संत राजा से कहते हैं कि आप हमारा दुपट्टा ले लो कहने लगे कि हमारा और आपकी संतुष्टि बराबर मात्रा में है।
तराजू बाट लाकर बताइए आपको लगता है कि आप विशिष्ट है लेकिन सब बराबर मात्रा में है।
दरिद्र नारायण वो होता है जिसकी चाहत ज्यादा हो,
जिसे कुछ नहीं चाहिए वो संतुष्ट मन सुखी है अमीर है।
आवश्यकता से अधिक काम ,अधिक मात्रा मे कपड़े,अधिक मात्रा में बर्तन,अपनी ऊर्जा शक्ति को बर्बाद कर देती है।
अगर उतनी देर ज्यादा से ज्यादा समय भजन कीर्तन सत्संग प्रवचन करते हुए वक्त बिताएंगे तो मन संतुष्ट रहेगा और आयु भी बढ़ेगी।
संतुष्ट मन ही सुखी जीवन जीने का सही तरीका है बाकी समय अपनी ऊर्जा शक्ति बर्बाद करना है।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधे🌹🙏🏼