शीर्षक तेरी रुप
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तेरा रुप दिल में समाया हैं।
हां मन और मोह लिया है।
जिंदगी गुज़रे तेरा रुप देखते हैं।
हम तुम दो नहीं एक जान हैं।
तेरा रूप ही मरे दिल की शान हैं।
सुबह और शाम सब तेरे नाम हैं।
सच तो तेरा रुप ही जीवन हैं।
मन भावों में इश्क और तू है।
बस एक सोच ही बसी रहती हैं।
हम सभी को एहसास एतबार हैं।
तेरा रूप ही तो मुझे चाहत देती हैं।
सच हम सभी सूरत की सोच रखते हैं।
हक़ीक़त ए इश्क में तेरा रूप बसा हैं।
तेरा रुप मेरा रिश्ता शब्दों में बसा है।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र