Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jan 2023 · 1 min read

शाम की चाय पर

आओ कभी मिल बैठते हैं,शाम की चाय पर।
किसी दोस्त की हैलो संग,किसी की हाय पर।

किस्से सुनाते हैं आओ,बचपन और जवानी के,
कुछ बातें हों सपनों की,कुछ किस्से नादानी के।

कभी लास्ट बैंच पर बैठ,मैच देखना मोबाइल पर।
बातें कुछ लड़कियों की,कौन मरती स्टाइल पर।

कभी खाते चाय संग समोसे, कालेज की कैंटीन में।
कभी बंक करने पीरियड,ऐसे ही रूटीन में ।

अब कहां रही वो बातें,दोस्त नहीं करते दिल की बात।
दिखाने को रह गई तरक्कियां, दिखाने को औकात।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
213 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

बेटी
बेटी
Sumangal Singh Sikarwar
विवेकवान कैसे बनें। ~ रविकेश झा
विवेकवान कैसे बनें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
श्रमिक  दिवस
श्रमिक दिवस
Satish Srijan
सच
सच
Sanjeev Kumar mishra
शीर्षक – कुछ भी
शीर्षक – कुछ भी
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
उम्र भर का सफ़र ज़रूर तय करुंगा,
उम्र भर का सफ़र ज़रूर तय करुंगा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अंधेरे से लड़ो मत,
अंधेरे से लड़ो मत,
नेताम आर सी
मां
मां
Shutisha Rajput
संवेदना बदल गई
संवेदना बदल गई
Rajesh Kumar Kaurav
"क्या होगा?"
Dr. Kishan tandon kranti
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
यह दुनिया समझती है, मै बहुत गरीब हुँ।
Anil chobisa
अदान-प्रदान
अदान-प्रदान
Ashwani Kumar Jaiswal
సూర్య మాస రూపాలు
సూర్య మాస రూపాలు
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आप चाहे हज़ार लाख प्रयत्न कर लें...
आप चाहे हज़ार लाख प्रयत्न कर लें...
Ajit Kumar "Karn"
खुद की एक पहचान बनाओ
खुद की एक पहचान बनाओ
Vandna Thakur
सनातनी
सनातनी
guru saxena
😊एक दुआ😊
😊एक दुआ😊
*प्रणय प्रभात*
विश्व राज की कामना
विश्व राज की कामना
संतोष बरमैया जय
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
Sanjay ' शून्य'
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
भीम आयेंगे आयेंगे भीम आयेंगे
gurudeenverma198
कुछ और
कुछ और
Ragini Kumari
बन्धनहीन जीवन :......
बन्धनहीन जीवन :......
sushil sarna
प्रदीप छंद विधान सउदाहरण
प्रदीप छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
- कलयुग -
- कलयुग -
bharat gehlot
आंखों की भाषा
आंखों की भाषा
Mukesh Kumar Sonkar
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
3537.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)*
*कुछ अनुभव गहरा गए, हुए साठ के पार (दोहा गीतिका)*
Ravi Prakash
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
खींच रखी हैं इश्क़ की सारी हदें उसने,
शेखर सिंह
Loading...