शब्द
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आज शब्द बहुत बुझे-बुझे से हैं
सीले-सीले से
शब्द व्यक्त नही कर पा रहे
बिछुड़ जाने की कसक
चंद दिनों पहले
जो शब्द चहके से थे
आज न जाने क्यूं
मुझसे दूर –दूर हैं।
शायद कुछ अनमने
कुछ रूठे और कुछ
अंतर्मन की व्यथा
न कह सकने की वजह से।
आज शब्द बहुत बुझे-बुझे से हैं
सीले-सीले से
शब्द व्यक्त नही कर पा रहे
बिछुड़ जाने की कसक
चंद दिनों पहले
जो शब्द चहके से थे
आज न जाने क्यूं
मुझसे दूर –दूर हैं।
शायद कुछ अनमने
कुछ रूठे और कुछ
अंतर्मन की व्यथा
न कह सकने की वजह से।