वीर जवानों को सलाम
वीर जवानों को सलाम
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वतन पे जां अपना लुटाने लगे हैं।
कि दुश्मन की हस्ती मिटाने लगे हैं।
नया गीत फिर से लिखेगा जमाना।
भगत, राजगुरु देखो आने लगे हैं।
सरहद पे हर दिन ही होता अदावत।
दुश्मन के छक्के छुड़ाने लगे हैं।
खिला फूल फिर से हिन्द ए चमन में।
दगाबाज को दम दिखाने लगे हैं।
मिले जो सहादत वो समझें इबादत।
अजी गोली सीने पे खाने लगे है।
नजर खाम कोई जो डालेगा हम पर।
कि सीने में खंजर चुभाने लगे हैं।
अपना वतन है ये वीरों की भूमि।
दुश्मन भी डर – डर के जाने लगे हैं।
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✍ ✍ पं.संजीव शुक्ल “सचिन”