Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2017 · 2 min read

विजेता

आज पृष्ठ संख्या तीन पढ़िए। विजेता उपन्यास को अगर आपने शुरू से नहीं पढ़ा तो आप इस अनूठी कहानी का लुत्फ नहीं उठा पाएँगे। इसलिए हर रोज पढ़िए।
“मैं ईब समझी असली मकसद। थाहम स्याणे-सपटों के धोरै जाओ सो। किसे बाबा ने बताया होगा के कन्या पै टूणा-टोटका कर दियो। थाहमनै सरम ना आती?अपणे भाई का सब कुछ लूट लिया और ईब गोलू की कोख भी लूटणा चाहो सो।”
यह सुनते ही शमशेर आत्म-ग्लानि से भर गया। अपनी भाभी की तरफ घृणित दृष्टि डालकर वह बोला,”थूकता हूँ मैं तेरी घटिया सोच पै।जो मन्नै न्यू बेरा होंदा के तूं भीतर तैं इतणी बेईमान और घटिया लुगाई सै, मैं अपणी भतीजी नै बुलावण ना आता।”
शमशेर ने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी भाभी उस पर इतणा घटिया इल्जाम भी लगा सकती है।
अपनी नम आँखों को छुपाने की कोशिश करते हुए वह अपने भाई के घर से बाहर निकल गया।उसके जाते ही भाभी पहले से भी ऊँचे स्वर में बोलने लगी,”अपणी सगी भतीजी पै टूणे-टोटके करण चाल पड़्या यो पापी।इसे कसाई नै तो ऊपरवाला सात जलम भी ऊलाद ना देवै। हमनै तो वो इसे कसाई की परछाई तैं भी दूर—–।”
वह बोले जा रही थी और कुछ पड़ौसी उसकी बकवास को यूं ध्यान-कान लगाकर सुन रहे थे मानों किसी संत महात्मा के प्रवचन चल रहे हों।
शमशेर का घर अपने भाई से काफी दूर था। इसलिए बाला को झगड़े के बारे में कुछ भी पता नहीं था।वह मालपूए बनाते-बनाते सोच रही थी,”जो होग्या,सो होग्या।ईब हम दुराणी- जेठाणी मिलके रहवैंगे। वा बड्डी- स्याणी सै,मैं उसका कहा मानूंगी। वा दिल की बुरी ना सै। बस जुबान की थोड़ी कड़वी सै। उसकी आतमा साफ सै। वा म्हारा बुरा थोड़़ा चाहवैगी! जेठ जी भी अपणे छोटे भाई तैें कितणा प्यार करै सैं। ज्यब न्यारे होये थे तो क्यूकर बालक की तरियाँ रोवैं थे।न्यारा तो सारा देश होवै सै पर न्यारे होके भी एक होके रहा जा सकै सै, या बात हम दिखावैंगे गाम नै।भाई के तो भाई ही काम आया करै। मैं आज सकरांत के दिन मना ल्यूंगी अपणे जेठ-जेठाणी—–।”
“बाला!” अपणे पति के मुँह से अपना नाम सुनते ही बाला की विचार-श्रंखला टूट गई। हमेशा भाग्यवान नाम से पुकारने वाला पति उसे उसके असली नाम से पुकार बैठा! वह हैरान हो बोली,”थाहमनै मेरा नाम लिया?”
“मालपूड़े बणगे भाग्यवान?”
“हाँ बणगे। मन्नै घणे बणा दिये। गोलू के हाथ जेठ-जेठाणी खात्तर भी भेज दूँगी।”
अपनी पत्नी के मुँह से यह बात सुनकर शमशेर चुपचाप अंदर जाकर बैठ गया।

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 200 Views
You may also like:
A little hope can kill you.
A little hope can kill you.
Manisha Manjari
मैं जान लेना चाहता हूँ
मैं जान लेना चाहता हूँ
Ajeet Malviya Lalit
छठ पर्व
छठ पर्व
Varun Singh Gautam
कांच की तरह
कांच की तरह
Dr fauzia Naseem shad
*श्री रामप्रकाश सर्राफ*
*श्री रामप्रकाश सर्राफ*
Ravi Prakash
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
Harinarayan Tanha
आब दाना
आब दाना
Satish Srijan
चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर
चोट मैं भी खायें हैं , तेरे इश्क में काफ़िर
Manoj Kumar
मार्शल लॉ के सन्नाटे में
मार्शल लॉ के सन्नाटे में
Shekhar Chandra Mitra
आप सभी को महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई..
आप सभी को महाशिवरात्रि की बहुत-बहुत हार्दिक बधाई..
आर.एस. 'प्रीतम'
किस बात तुम्हें अभिमान है प्राणी!
किस बात तुम्हें अभिमान है प्राणी!
Anamika Singh
2225.
2225.
Khedu Bharti "Satyesh"
साजिशों की छाँव में...
साजिशों की छाँव में...
मनोज कर्ण
वाह रे पशु प्रेम ! ( हास्य व्यंग कविता)
वाह रे पशु प्रेम ! ( हास्य व्यंग कविता)
ओनिका सेतिया 'अनु '
चित्रगुप्त पूजन
चित्रगुप्त पूजन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Daily Writing Challenge : घर
Daily Writing Challenge : घर
'अशांत' शेखर
246.
246. "हमराही मेरे"
MSW Sunil SainiCENA
अपनों के खो जाने के बाद....
अपनों के खो जाने के बाद....
साहित्य लेखन- एहसास और जज़्बात
सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी
कवि दीपक बवेजा
गीतिका-
गीतिका-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ज़माने में बहुत लोगों से बहुत नुकसान हुआ
ज़माने में बहुत लोगों से बहुत नुकसान हुआ
शिव प्रताप लोधी
💐प्रेम कौतुक-177💐
💐प्रेम कौतुक-177💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
करुणामयि हृदय तुम्हारा।
करुणामयि हृदय तुम्हारा।
Buddha Prakash
आज सबको हुई मुहब्बत है।
आज सबको हुई मुहब्बत है।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रेम कविता
प्रेम कविता
Rashmi Sanjay
आज किस्सा हुआ तमाम है।
आज किस्सा हुआ तमाम है।
Taj Mohammad
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
सद् गणतंत्र सु दिवस मनाएं
Pt. Brajesh Kumar Nayak
✍️कैसे मान लुँ ✍️
✍️कैसे मान लुँ ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
तुम्हारे जाने के बाद...
तुम्हारे जाने के बाद...
Prem Farrukhabadi
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...