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18 Feb 2017 · 1 min read

वह फूल हूँ

देश वीरों के चरण की शुभ-सुपावन धूल हूँ |
मातृ-क्षित के अति सुहावन सुपथ हित की भूल हूँ |
मुझे रौंदो,मैं मरूँ, जन्मूँ अनंतों बार भी |
फिर मरूँँ, पद-घाव मरहम बन हँसू, वह फूल हूँ|

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
261 Views

Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak

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