*जितनी जिसकी सोच संकुचित, वह उतना मेधावी है (मुक्तक)*
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जितनी जिसकी सोच संकुचित, वह उतना मेधावी है (मुक्तक)
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राजनीति में सिद्धांतों पर, जाति-व्यवस्था हावी है
जातिवाद का समीकरण ही, केवल आज प्रभावी है
बौनों के हाथों में आती, दिखती सत्ता की चाबी
जितनी जिसकी सोच संकुचित, वह उतना मेधावी है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451