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19 May 2023 · 1 min read

वही खुला आँगन चाहिए

वही खुला आँगन चाहिए ,
जिसमे आती थी सुनहरी धूप ।
हम खेला करते थे मिलकर,
कोई चोर बनता था कोई भूप।।

फुदकती थी गौरैया रानी,
कौआ करता था काँव काँव
वही खुला आँगन चाहिए,
जिसमे थी ममता की छाँव।।

नित भोर रवि देता था दर्शन,
नीला नीला दिखता था आसमान।
रिम झिम बारिश होती थी,
सुनते थे कोयल की मीठी गान।।

कहां गए वो सुनहरे दिन,
भरे रहते थे अपनों से घर।
मोहल्ले में बच्चों का शोर,
खुशियां मिलती थी झोली भर।।

आजकल सुविधाएं बढ़ी,
और छिन गया सुख चैन।
वही खुला आँगन चाहिए,
देखने को तरसते यह नैन।।

Language: Hindi
107 Views
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