वर्षा जीवन-दायिनी, तप्त धरा की आस।
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वर्षा जीवन-दायिनी, तप्त धरा की आस।
सकल चराचर जगत की, बुझती इससे प्यास।।
पानी बिन जीवन नहीं, वर्षा जल की खान।
बूँद-बूँद संग्रह करो, इसका अमृत जान।।
© सीमा अग्रवाल
वर्षा जीवन-दायिनी, तप्त धरा की आस।
सकल चराचर जगत की, बुझती इससे प्यास।।
पानी बिन जीवन नहीं, वर्षा जल की खान।
बूँद-बूँद संग्रह करो, इसका अमृत जान।।
© सीमा अग्रवाल