* वर्षा ऋतु *
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** मुक्तक **
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रिमझिम बारिशों का क्रम लिए सावन चला आया।
मेघों से भरा नभ खूब सब के मन को है भाया।
बहुत उत्सुक हुआ है मन मिलन की चाहतें लेकर।
मौसम का मधुर उन्माद मन मस्तिष्क पर छाया।
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जरा नजरें उठाकर आसमां की ओर देखो तुम।
घने बादल बहुत छाए घटा घनघोर देखो तुम।
मचलने दो शरारत से भरे मन के विचारों को।
छुपे दिल के किसी कोने में प्रिय चितचोर देखो तुम।
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रिमझिम बौछारें लेकर अब सावन आया है।
शिव पूजन का भाव लिए अति पावन आया है।
जिनका शीश जटाओं से शोभित है महिमामय।
धारण कर गंगा सिर पर मनभावन आया है।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य