वफा से वफादारो को पहचानो
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वफा से वफादारो को पहचानो
नहीं तो यही आफत बन जाएं ।
किया आपने प्रेम से आलिंगन
छिपा कर बैठा था वह खंजर।
कल जो मेरे जश्न में शामिल थे
मिठास की चासनी घोलते थे।
साथ रहकर , झूठी ढोंग रचकर
दामन को छेद किया करता था ।
नया क्या है ? इस दुनिया में
कहीं विभीषण ,कहीं मीरजाफर ।
फरेब- फेरेबी से बचना तो कठिन
प्रेम का मायाजाल जो बुनते है ।
अभाव नहीं स्वभाव बनी होगी
और कौन-कौन हैं ? लिस्ट में शामिल।
आपनी गिरती ईमान ,ओछी मानसिकता
पोल खुली,अब कैसे बचेगी तेरी आबरू।
बोए आइए हो बबूल अनभिज्ञ मार्ग में
जरूरत पड़ सकता वही मार्ग आपको भी।
दिया घाव भर ही जाएगा
जाने उसको कौन मेरे जैसे मिलेगा ?
बस यही कामना करते है
भगवान हिम्मत हम सबको ।
लेखा -जोखा तो जरूर होगा
अंतिम तो राम ,राम सत्य होगा।।
गौतम साव