लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह
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लिखना चाहूँ अपनी बातें , कोई नहीं इसको पढ़ता है ! बातें कह भी डालें सबको , कोई भी नहीं समझता है !! सब अपनों में गुम हैं यारों , किसी की कोई परवाह नहीं !अपनी धुन पर सब नाचेंगे ,औरों की कोई चाह नहीं !!@परिमल